पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि निलंबित करने का फैसला किया। संधि के तहत भारत का अधिकार सिंधु नदी की सहायक पूर्वी नदियों रावी, ब्यास, सतलुज पर रहेगा। पाकिस्तान का अधिकार सिंधु नदी की सहायक पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम, चिनाब पर अधिकार दिया गया है, लेकिन अब संधि खत्म होने के बाद पाकिस्तान के अधिकार खत्म हो जाएंगे। 1960 में हुई संधि 3 युद्ध होने के बाद भी कायम थी, लेकिन पाकिस्तान की एक नापाक हरकत ने इस संधि को तोड़ दिया। आइए जानते हैं कि सिंधु जल संधि के निलंबन से पाकिस्तान पर क्या असर पड़ेगा?
#WATCH | India has suspended the Indus Waters Treaty with Pakistan following the Pahalgam terror attack
Visuals from the Baglihar Hydroelectric Power Project built on the Chenab River in Ramban, J&K pic.twitter.com/3qVBRiuzYz
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) April 25, 2025
1. सिंधु जल संधि खत्म होने के बाद सिंधु जल आयुक्तों की कोई बैठक नहीं होगी। अब तक संधि के तहत दोनों देशों के आयुक्तों को साल में एक बार बैठक करनी पड़ती थी। एक बार भारत में तो दूसरी बार पाकिस्तान में यह बैठक होती थी, लेकिन समझौता खत्म होने के बाद कोई बैठक नहीं होगा।
2. सिंधु जल संधि खत्म होने के बाद पाकिस्तान के साथ कोई हाइड्रोलॉजिकल डेटा शेयर नहीं किया जाएगा। पाकिस्तान को अब न बाढ़ आने की अग्रिम चेतावनी दी जाएगी। न ही नदी के पानी की मात्रा शेयर की जाएगी। न ही ग्लेशियर पिघलने के पैटर्न पर रिपोर्टिंग दी जाएगी। ऐसे में जब पाकिस्तान को सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के जल स्तर के बारे में जानकारी नहीं मिलेगी तो पाकिस्तान पर सूखा या बाढ़ का खतरा मंडराएगा।
3. सिंधु जल संधि खत्म होने के बाद भारत नए प्रोजेक्ट के बारे में पाकिस्तान को कोई अग्रिम सूचना नहीं देगा। जल-बंटवारे का समझौते निलंबित होते ही सूचना का प्रवाह रुक जाएगा। अब भारत के पास अपनी बिजली परियोजनाओं को गति देने और नदियों पर बांध बनाने का मौका मिल जाएगा। इसके लिए भारत को पाकिस्तान के परामर्श पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, जबकि अब तक संधि के तहत पाकिस्तान को सिंधु की पश्चिमी नदियों पर भारतीय बिजली परियोजनाओं के डिजाइन को सेलेक्ट करने का अधिकार था।
4. सिंधु जल संधि खत्म होने के बाद पाकिस्तान के सिंधु जल आयुक्त जम्मू कश्मीर का दौरा नहीं कर पाएंगे। पाकिस्तान के सिंधु जल आयुक्त पश्चिमी नदियों और भारतीय जलविद्युत परियोजनाओं की स्थिति जानने या रिपोर्ट लेने के लिए जम्मू कश्मीर नहीं आ पाएंगे।
5. सिंधु जल संधि खत्म होने के बाद एनुअल रिपोर्ट प्रकािशत नहीं होगी, जिससे पाकिस्तान में सिंचाई और कृषि परियोजनाओं के लिए खत्म पैदा हो जाएगा।
अन्य परिणाम
पाकिस्तान पहले से वित्तीय और राजनीतिक उथल-पुथल से जूझ रहा है। पाकिस्तान खेती-बाड़ी के लिए सिंधु जल संधि पर बहुत अधिक निर्भर है, जो इसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। पाकिस्तान में 90 प्रतिशत सिंचाई का संसाधन सिंधु बेसिन का पानी है। पश्चिमी नदियों से पानी की आपूर्ति में कोई भी व्यवधान पाकिस्तान में पानी की कमी को बढ़ा सकती है। फसल की पैदावार को कम कर सकती है। घरेलू अशांति को बढ़ावा दे सकती है, खासकर पंजाब और सिंध जैसे पहले से ही पानी की कमी से जूझ रहे प्रांतों में समस्या और बढ़ सकती है। संधि के निलंबन से न केवल कृषि उत्पादन प्रभावित होगा, बल्कि बिजली आपूर्ति पर भी भारी असर पड़ेगा। आज पाकिस्तान 60 प्रतिशत से अधिक कर्ज में डूबा है।