Electronic Voting Machine Ban : लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम बस आने ही वाला है। वोटों की गिनती शुरू हो गई और रुझान आने शुरू हो गए हैं। लोकसभा चुनाव EVM से हुआ है। चुनाव में EVM के इस्तेमाल को लेकर कई बार विवाद हो चुका है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि पहली बार जब EVM का इस्तेमाल किया गया, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर बैन लगा दिया था।
आखिर EVM पर क्यों लगा था बैन?
1982 में हुए केरल विधानसभा चुनाव में पहली बार EVM का प्रयोग हुआ था। एर्नाकुलम जिले के पारवूर निर्वाचन क्षेत्र के 84 में से 50 बूथों पर ट्रायल के लिए EVM का प्रयोग किया गया था। EVM मतदाताओं और उम्मीदवारों के लिए नई थी, ऐसे में चुनाव आयोग के सामने राजनीतिक दलों को समझाने और मतदाताओं को यह सिखाना मुश्किल हो गया था कि यह काम कैसे करेगी।
19 मई 1982 को जिन बूथों पर मतदान EVM से हो रहा था, वहां मतदान जल्दी खत्म हो गया और वोटों की गिनती भी जल्दी खत्म हो गई थी। चुनाव के जब नतीजे सामने आए तो विवाद हो गया। पारवूर निर्वाचन क्षेत्र में सीपीआई के सिवन पिल्लई और कांग्रेस के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ए.सी. जोस के बीच मुकाबला था।
जब नतीजे सामने आए तो पिल्लई ने 30,450 वोटों के साथ जोस (30,327) को 123 वोटों के अंतर से हरा दिया। इसके बाद जोस जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 और चुनाव संचालन नियम, 1961 के तहत ईवीएम के इस्तेमाल को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट चले गए। उन्होंने चुनाव में EVM के इस्तेमाल की चुनौती दे दी। हालांकि कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया।
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इसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट गए और ए.सी. जोस के पक्ष में फैसला दिया और चुनाव आयोग से उन सभी 50 बूथों पर बैलेट पेपर से फिर से मतदान कराने का आदेश दिया, जहां EVM से मतदान हुआ था। इसके बाद फिर से चुनाव और जोस 2,000 वोटों के अंतर से जीते। केरल का यह पहला ऐसा चुनाव था, जब EVM का इस्तेमाल किया गया था और फिर इसे रिजेक्ट किया गया थी।
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पहली बार EVM से हुआ लोकसभा चुनाव!
1998 में EVM से चुनाव कराने के लिए सहमति बनी फिर मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के 25 विधानसभा क्षेत्रों में EVM का इस्तेमाल हुआ था। वहीं पहली बार साल 2004 के लोकसभा चुनाव में पहली बार EVM का प्रयोग हुआ था, तब चुनाव आयोग ने देश के सभी 543 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में ईवीएम का उपयोग किया गया था।