Field Marshal Rank in Indian Army: सेना का ‘फील्ड मार्शल’ पद इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल, पाकिस्तान ने हाल ही में अपने सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया है। बता दें मुनीर वे ही जनरल हैं जिनकी वीडियो पहलगाम आतंकी हमले से पहले सोशल मीडिया पर वायरल थी। इस वीडियो में वे भारत के खिलाफ आग उगलते हुए सुनाई दे रहे थे।
आपको बता दें कि फील्ड मार्शल एक पांच सितारा सैन्य पद होता है, जो असाधारण सैन्य उपलब्धियों के लिए दिया जाता है। जानकारी के अनुसार फील्ड मार्शल का रैंक कई देशों में मौजूद है। डिफेंस एक्सपर्ट बताते हैं कि फील्ड मार्शल सैन्य पदानुक्रम में सर्वोच्च रैंक होती है, जिसे असाधारण नेतृत्व और योगदान के लिए दिया जाता है। पाकिस्तान की बात करें तो असीम मुनीर से पहले ये पद अयूब खान को दिया गया था।
Field Marshal
General Hafiz Syed Asim Muneer
Only 2nd Field Marshal in the History of Pakistan after 1st Field Marshal Ayub.1st commander to whom I praise.❤️❤️🇵🇰🇵🇰🇵🇰 pic.twitter.com/gihrQ8NQow— SAMINA ASHRAF (@Muzammalhassa13) May 20, 2025
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इंडिया में अब तक फील्ड मार्शल पद किसे और कितने लोगों को दिया गया है?
भारत में पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ थे, जिन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारत को विजय दिलाई। इसके बाद के. एम. करिअप्पा को भी यह पद दिया गया, जिन्होंने भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ के रूप में देश की सेवा की थी। दोनों ही अधिकारियों ने अपने कार्यकाल में देश का नाम रोशन किया था, उनके सामने पाकिस्तान के असीम मुनीर की उपलब्धियां काफी कम हैं।
सेना में फील्ड मार्शल का महत्व क्या होता है?
फील्ड मार्शल का पद एक सक्रिय सेवा रैंक नहीं, बल्कि एक सम्मानजनक पदवी होती है। इसे प्राप्त करने वाले अधिकारी को पूरे जीवन सैन्य प्रतिष्ठान में सर्वोच्च स्थान मिलता है। उनके नेतृत्व और रणनीतिक कौशल का उपयोग देश की रक्षा नीतियों में किया जाता है। डिफेंस एक्सपर्ट सुमित चौधरी के मुताबिक आज के समय में फील्ड मार्शल की पदवी मिलना बेहद मुश्किल है। उनका कहना था कि आधुनिक युद्ध रणनीतियों और राजनीतिक परिदृश्य में इस पद की भूमिका सीमित हो गई है। हालांकि, इसका ऐतिहासिक और सम्मानजनक महत्व अभी भी बरकरार है।
Indian Army gets its first Field Marshal. On January 3, 1973 in the Ashoka Hall of Rashtrapati Bhavan, General Sam Hormusji Framji Jamshedji Manekshaw was pipped with his badges of rank and presented the Field Marshal’s baton by President V.V. Giri. pic.twitter.com/0r6azqgzER
— 𝐒𝐓𝐀𝐕𝐊𝐀 (@Maverickmusafir) March 9, 2023
भारत के अलावा किन देशों में फील्ड मार्शल का रैंक?
पाकिस्तान: हाल ही में पाकिस्तान ने अपने सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया है। इससे पहले अयूब खान को यह सम्मान मिला था।
ब्रिटेन: ब्रिटिश सेना में फील्ड मार्शल का पद ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण रहा है। यह रैंक कई प्रतिष्ठित सैन्य अधिकारियों को दिया गया है।
जर्मनी: जर्मनी में भी यह रैंक मौजूद थी, खासकर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कई जनरलों को फील्ड मार्शल बनाया गया था।
फ्रांस: फ्रांस में इसे “Maréchal de France” कहा जाता है, जो एक सम्मानजनक सैन्य पदवी है।
रूस: रूस में भी फील्ड मार्शल का पद ऐतिहासिक रूप से मौजूद रहा है, हालांकि आधुनिक समय में इसका उपयोग कम हो गया है।
महान सैन्य अधिकारी थे फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ
फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ जिन्हें ‘सैम बहादुर’ के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय सेना के सबसे प्रतिष्ठित सैन्य अधिकारियों में से एक थे। उनकी उपलब्धियां भारतीय सैन्य इतिहास में अमिट छाप छोड़ चुकी हैं।
फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की कुछ प्रमुख उपलब्धियां
1. 1971 का भारत-पाक युद्धा-मानेकशॉ ने इस युद्ध में भारतीय सेना का नेतृत्व किया, जिससे पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण किया और बांग्लादेश का निर्माण हुआ।
2. पहले भारतीय फील्ड मार्शल-वह पहले भारतीय सैन्य अधिकारी थे जिन्हें फील्ड मार्शल की उपाधि दी गई।
3. द्वितीय विश्व युद्ध में वीरता-उन्होंने बर्मा अभियान के दौरान बहादुरी दिखाई और मिलिट्री क्रॉस सम्मान प्राप्त किया।
4. भारत-पाक युद्ध (1947 और 1965)-उन्होंने इन युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय सेना की रणनीति को मजबूत किया।
5. सैन्य नेतृत्व और सुधार-उन्होंने भारतीय सेना में कई सुधार किए और सैन्य रणनीति को आधुनिक बनाया।
6 सैम मानेकशॉ को 1968 में पद्म भूषण और 1972 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
Sam Manekshaw was the first field marshal of the Indian Army, and was promoted on 1 January 1973.
The second was Kodandera M. Cariappa, who was promoted to the rank on 15 January 1986.
Field marshal is equivalent to admiral of the fleet in the Indian Navy and Marshal of the… pic.twitter.com/lgKdoeU5zK
— 𝐒𝐀𝐌𝐀𝐑 𝐏𝐑𝐀𝐓𝐀𝐏 𝐒𝐈𝐍𝐆𝐇 (@O007Samar) May 21, 2025
फील्ड मार्शल के. एम. करिअप्पा थे पहले कमांडर इन चीफ
1. भारत के पहले कमांडर-इन-चीफ- उन्होंने 15 जनवरी 1949 को भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ के रूप में पदभार संभाला था।
2. 1947 का भारत-पाक युद्ध- उन्होंने पश्चिमी मोर्चे पर भारतीय सेना का नेतृत्व किया और जोजिला, द्रास और कारगिल को सफलतापूर्वक पुनः प्राप्त किया।
3. भारतीय सेना का भारतीयकरण- उन्होंने भारतीय सेना में ब्रिटिश अधिकारियों के प्रभुत्व को समाप्त किया और इसे पूरी तरह भारतीय नेतृत्व के अधीन किया।
4. अंतरराष्ट्रीय भूमिका-1954-1956 के दौरान, उन्हें ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भारत का उच्चायुक्त नियुक्त किया गया।
5. सम्मान और पुरस्कार- उन्हें ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश एम्पायर और लीजन ऑफ मेरिट (अमेरिका) जैसे प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए।
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