Farming Not Done 101 Million Hectares of Land: वैश्विक स्तर पर किए गए खेतों को लेकर किए गए अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। शोधकर्ताओं ने बताया कि पूरे विश्व में 1992 से 2020 के बीच कुल 10.1 करोड़ हैक्टेयर कृषि भूमि को बगैर खेती के ही छोड़ दिया गया है। जो आकार में 1992 की कुल कृषि भूमि की 7 फीसदी है। यदि इस जमीन पर खेती की जाती है तो करोड़ों लोगों को भरपेट खाना मिल सकता है। यह शोध नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के सहयोग से कई देशों के शोधकर्ताओं ने किया है।
हर साल 36 लाख हेक्टेयर भूमि पर नहीं होती खेती
इस शोध के नतीजे प्रतिष्ठित मेग्जीन जर्नल नेचर कम्यूनिकेशन में प्रकशित हुए हैं। शोध के अनुसार कभी-कभी मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है ऐसे भूमि को पुनः उपजाऊ बनाने के लिए परती छोड़ दिया जाता है लेकिन यहां स्थिति अलग है। पूरे विश्व में हर वर्ष 36 लाख हेक्टेयर भूमि को खाली छोड़ दिया जाता है। उस पर खेती नहीं की जाती है ऐसे में उसकी गुणवत्ता में कमी आने लगती है।
2021 में 83 करोड़ लोगों को नहीं मिला भोजन
आंकड़ों की मानें तो 2021 में पूरी दुनिया में करीब 82.8 करोड़ लोगों के लिए पर्याप्त भोजन की व्यवस्था नहीं है। इनका पेट भरने के लिए अगले तीस वर्षो में 22.6 करोड़ हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है। ऐसे में पर्यावरण और जैव विविधता पर प्रतिकुल असर हो सकता है। वहीं कृषि क्षेत्र में बढ़ता हुआ उत्सर्जन भी बड़ी समस्या पैदा कर रही है। कृषि में कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग से धरती का पारिस्थितिकी तंत्र में खतरे में है। इन स्थितियों का अध्ययन करने के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि यदि इस 36 लाख हेक्टेयर भूमि को कृषि योग्य बनाया जाए तो वह जलवायु परिवर्तन व भोजन की कमी के दोहरे वैश्विक संकट से निपटने में मदद मिल सकती है।
खेती नहीं करने के ये प्रमुख कारण
वैज्ञानिकों की मानें तो कृषि योग्य जमीन पर खेती नहीं करने के कई कारण है। इसमें जमीन की गुणवत्ता में गिरावट, सामाजिक बदलाव, आपदा, संघर्ष, और शहरीकरण जैसे कारक जिम्मेदार है। हालांकि शोध में यह भी सामने आया है कि छोड़ी गई फसल भूमि में से 6.1 हेक्टेयर जमीन को खेती के लिए पुनः उपयोग में लाया जा सकता है जिससे प्रतिवर्ष 47.6 करोड़ लोगों का पेट भर सकता है।