Farmers Protest Kisan Andolan PM Modi Reaction: किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा है कि किसानों के कल्याण के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इसी कड़ी में गन्ना खरीद की कीमत में ऐतिहासिक बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई है। उन्होंने दावा किया कि इससे करोड़ों गन्ना उत्पादक किसानों को फायदा होगा।
देशभर के अपने किसान भाई-बहनों के कल्याण से जुड़े हर संकल्प को पूरा करने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है। इसी कड़ी में गन्ना खरीद की कीमत में ऐतिहासिक बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई है। इस कदम से हमारे करोड़ों गन्ना उत्पादक किसानों को लाभ होगा।https://t.co/Ap14Lrjw8Z https://t.co/nDEY8SAC3D
---विज्ञापन---— Narendra Modi (@narendramodi) February 22, 2024
‘करोड़ों गन्ना उत्पादक किसानों को लाभ होगा’
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर किए गए एक पोस्ट में कहा कि देशभर के अपने किसान भाई-बहनों के कल्याण से जुड़े हर संकल्प को पूरा करने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है। इसी कड़ी में गन्ना खरीद की कीमत में ऐतिहासिक बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई है। सरकार के इस कदम से करोड़ों गन्ना उत्पादक किसानों को लाभ होगा।
340 रुपये प्रति क्विंटल की गई गन्ने की एफआरपी
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में चीनी सीजन 2024-25 के लिए गन्ने की एफआरपी (उचित और लाभकारी मूल्य) को बढ़ाकर 340 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। यह मौजूदा सीजन 2023-24 की तुलना में 8 प्रतिशत ज्यादा है।
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केंद्र ने क्या कहा?
केंद्र की तरफ से कहा गया है कि 10.25 प्रतिशत से ज्यादा की रिकवरी में प्रत्येक 0.1 प्रतिशत अंक की वृद्धि के लिए प्रति क्विंटल 3.32 रुपये का प्रीमियम प्रदान किया जाएगा। वहीं, 9.5 प्रतिशत या उससे कम रिकवरी वाली चीनी मिलों के लिए एफआरपी 315.10 रुपये प्रति क्विंवटल तय की गई है। सरकार का दावा है कि इससे 5 करोड़ से अधिक गन्ना किसानों और उनके परिवार को लाभ होगा।
किसानों को बकाया भुगतान करने में आगे मोदी सरकार
बता दें कि पिछले 10 साल में मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय किए हैं कि किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य सही समय पर मिले। इसी के तहत पिछले चीनी सीजन 2022-23 का 99.5 प्रतिशत गन्ना बकाया और अन्य सभी चीनी सीजन का 99.9 प्रतिशत बकाया भुगतान किसानों को पहले ही किया जा चुका है। इस तरह से अब चीनी क्षेत्र के इतिहास में सबसे कम गन्ना बकाया बचा है।
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