पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान और पीओके में एयरस्ट्राइक किया था और 100 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया था। उसके बाद जब पाकिस्तान ने नापाक हरकत करने की कोशिश की तो भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया और पाकिस्तान के कई एयरबेस को तबाह कर दिया। हालांकि, अब पाकिस्तान और भारत के बीच सीजफायर लागू हो गया है, लेकिन कश्मीर में आतंकवादियों के मददगारों को ढूंढकर निशाना बनाया जा रहा है। इसी कड़ी में राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने शनिवार को मध्य और उत्तरी कश्मीर में करीब 11 स्थानों पर व्यापक छापेमारी की। इससे पहले इस सप्ताह की शुरुआत में स्लीपर सेल मॉड्यूल के खिलाफ चल रही जांच के तहत दक्षिण कश्मीर में भी इसी तरह की छापेमारी की गई थी।
छापेमारी के दौरान आपत्तिजनक सामग्री बरामद
एसआईए की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, ये छापेमारी विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज मामलों की जांच के सिलसिले में की गई। कोर्ट ने इन तलाशियों को ऑथराइज्ड किया है, जो कार्यकारी मजिस्ट्रेटों की मौजूदगी में की जा रही हैं।अधिकारियों ने कहा कि यह छापेमारी कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले लोगों के खिलाफ की जा रही है। उन्होंने बताया कि छापेमारी के दौरान काफी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई हैं और संदिग्धों को आगे की पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है।
‘संदिग्ध आतंकवादी साजिशों में सक्रिय रूप से शामिल’
उन्होंने बताया कि प्रारंभिक जांच से पता चला कि ये संदिग्ध आतंकवादी साजिशों में सक्रिय रूप से शामिल थे और भारत विरोधी बयानों को फैलाने में लिप्त थे, जिसका उद्देश्य न केवल भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देना है बल्कि असंतोष, सार्वजनिक अव्यवस्था और सांप्रदायिक घृणा को भड़काना भी है। एजेंसी ने अपने बयान में कहा कि राज्य सरकार कश्मीर की राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी तरह की अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों या समूहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
‘युवाओं को निशाना बना रहे हैं आतंकी’
विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि एसआईए की जांच के दौरान पाया गया कि ऑनलाइन कट्टरपंथ में शामिल होने वाले अधिकांश संदिग्ध युवाओं की उम्र 18 से 22 वर्ष के बीच है। इस संदर्भ में शिक्षकों, माता-पिता और साथियों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। हालांकि, निरंतर निगरानी संभव नहीं हो सकती है, लेकिन उन्हें युवा व्यक्तियों की ऑनलाइन गतिविधियों के प्रति सतर्क रहना चाहिए और यदि कोई चिंताजनक व्यवहार दिखाई देता है तो समय पर मार्गदर्शन करना चाहिए और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसे युवाओं को उचित हस्तक्षेप और परामर्श मिले।