E20 Fuel: देश में तेजी से बढ़ रहे ई20 पेट्रोल को लेकर सोशल मीडिया पर आलोचनाएं चल रही है। इसके बाद कई मीडिया रिपोर्ट्स में भी इस बात को लेकर चिंता जताई जा रही थी कि इससे पुराने वाहनों के इंजन पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है और माइलेज में भी कमी आ सकती है। इन तमाम आलोचनाओं को लेकर अब पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने साफ किया है कि E20 पेट्रोल से न ही इंजन को कोई नुकसान होता है और न ही माइलेज में कोई बड़ा फर्क पड़ रहा है।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने दूर की चिंता
पेट्रोलियम मंत्रालय ने लोगों के बीच बढ़ती चिंता को देखते हुए एक्स पर पोस्ट कर लिखा है कि मंत्रालय ने देश-विदेश में इस पर हुए परीक्षणों के हवाले से बताया है कि यह मिश्रित तेल सुरक्षित है और कुछ मामलों में इंजन की कार्यक्षमता को भी सुधार सकता है। हां, मगर कुछ वाहनों के माइलेज पर इसका प्रभाव पड़ सकता है।
📑Some articles/ reports in the media have raised concerns about the potential negative impact of 20% ethanol blending (E20) in petrol, particularly with regard to older vehicles and customer experience. These concerns, however, are largely unfounded and not supported by…
— Ministry of Petroleum and Natural Gas #MoPNG (@PetroleumMin) August 4, 2025
क्या है E20 फ्यूल?
यह एक मिश्रित फ्यूल है जिसमें 20% इथेनॉल और 80% पेट्रोल का मिश्रण होता है। यह फ्यूल भारत सरकार की इथेनॉल ब्लेंडिंग पॉलिसी का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पेट्रोल के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता को कम करना है। विदेशों से तेल आयात घटाना और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाना है। इस तेल को बनाने के लिए गन्ना, मक्का आदि से बने एथेनॉल का प्रयोग किया जाता है। इसकी मदद से किसानों की आय भी बढ़ती है।
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इस फ्यूल के फायदे
E20 फ्यूल से प्रदूषण कम होता है और CO2 और CO जैस गैसों का उत्सर्जन घटता है। कच्चे तेल के आयात में कमी आने से देश के किसानों को लाभ होता है। इस तेल से वाहनों के इंजन पर अनुकुल प्रभाव पड़ेंगे।
पुरानी गाड़ियों पर कैसा असर?
ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया, भारतीय पेट्रोलियम संस्थान और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने इस बात की पुष्टि की है कि पुरानी गाड़ियों को जब ई20 से चलाया गया तो उसके वैरिएशंस, प्रदर्शन में कोई दिक्कत या कोई असामान्य समस्या को नहीं देखा गया है। इतना ही नहीं ई20 फ्यूल की मदद से इंजन में कोई नुकसान नहीं हुआ है बल्कि इसके गर्म और ठंडे होने की स्टार्टेबिलिटी टेस्ट को भी क्लीयर कर चुका है।
क्या कहती है इंटरनेशनल रिपोर्ट?
मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर बताया है कि गाड़ियों के मैकनिकल, एनर्जी और पर्यावरण पर प्रभाव अनुकुल रहा है। इथेनॉल-पेट्रोल के मिश्रण के इस्तेमाल के प्रभाव पर अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों की रिपोर्ट में पाया गया है कि गाड़ियों की टेस्टिंग में पावर और टॉर्क में कोई खास फर्क नहीं पड़ा है। इसके साथ ही फ्यूल खपत में भी कोई बड़ा अंतर नहीं देखा गया है।
दरअसल, टेस्टिंग के लिए पुरानी टेक्नोलॉजी और नई टेक्नोलॉजी वाली गाड़ियों को लगभग 1,00,000 किलोमीटर तक चलाया। सभी गाड़ियों की टेस्टिंग हर 10 किलोमीटर पर की गई थी। इसका मतलब होता है कि E20 फ्यूल से गाड़ियों की ताकत और परफॉर्मेंस लगभग वैसी ही रहती है जैसे पेट्रोल से होती है। इन गाड़ियों का माइलेज भी लगभग सामान्य रहता है।
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