साल 2020 में कोविड-19 के दौरान तब्लीगी जमात के 70 विदेशी मेहमानों को अपने यहां रखने वाले 70 भारतीयों के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया था। करीब 5 सालों की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सभी 70 भारतीयों पर दर्ज किए गए 16 केसों को रद्द कर दिया है। जज नीना बंसल कृष्णा ने यह आदेश देते हुए कहा कि इस मामले की सभी चार्जशीट रद्द की जाती है।
190 विदेशियों को पनाह देने का था आरोप
कोविड के दौरान दिल्ली पुलिस ने विदेशी जमातियों के अपने यहां पनाह देने के आरोप में 70 भारतीयों के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत केस दर्ज किया था। करीब 16 केस इस मामले में दर्ज किए गए थे। पुलिस का आरोप है कि उस दौरान 190 से ज्यादा विदेशियों को इन लोगों ने अपने यहां पनाह दी थी। इसके बाद सभी केसों को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। करीब 5 साल की सुनवाई के बाद कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सभी 16 केसों को रद्द करते हुए 70 भारतीयों को बरी कर दिया है।
दिल्ली HC ने तबलीगी जमात के 70 लोगों के दी बड़ी राहत
◆ HC ने कोविड-19 महामारी के दौरान विदेशी नागरिकों की मेजबानी करने के आरोप में दर्ज 16 मामलों को किया खारिज#DelhiHC | #TablighiJamaat | #Covid19 pic.twitter.com/J8WBdk06vk
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क्या है पूरा मामला?
यह पूरा मामला कोरोना काल से जुड़ा हुआ है। दरअसल, मार्च 2020 में दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी जमात में हेड ऑफिस में एक कार्यक्रम था। इसमें विदेशी भी पहुंचे थे। बताया जाता है कि तभी सरकार ने कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते देख लॉकडाउन लगा दिया। साथ ही कोरोना संक्रमण की जांच शुरू कर दी। इस बीच दिल्ली के रहने वाले 70 लोगों ने करीब 190 विदेशी मेहमानों को अपने यहां रहने के लिए पनाह दे दी। जांच के दौरान इनमें कई कोरोना संक्रमित पाए गए।दिल्ली पुलिस ने संक्रमण फैलाने के आरोप महामारी रोग अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम और विदेशी अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन करने के आरोप में 70 लोगों पर केस दर्ज कर लिया।
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16 याचिका की गई थी दायर
बताया जाता है कि इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट में दिल्ली पुलिस के केस को रद्द करने के लिए 16 याचिका दायर की गई। दिल्ली पुलिस ने इसका विरोध करते हुए कहा कि कोविड के दौरान विदेशी लोगों को शरण देना गलत था। स्थानीय लोगों ने कोविड संक्रमण के नियमों का उल्लंघन किया था। इसी आधार पर इनके खिलाफ केस दर्ज किया गया था। करीब 5 साल चली की सुनवाई के बाद कोर्ट ने 70 लोगों पर दर्ज केस को रद्द करने का आदेश दिया है।