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रक्षा क्षेत्र में बढ़ेगी भारत की ताकत, CCS ने स्वदेशी आर्टिलरी गन की खरीद को दी मंजूरी

भारतीय सेना को स्वदेशी ATAGS मिलेगी। इसके लिए कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी ने इसे मंजूरी दे दी है। 307 हावित्जर गन सेना को मिलेंगी। इसे डीआरडीओ ने डेवलप किया है।

Author Written By: Kumar Gaurav Updated: Mar 20, 2025 16:25
ATAGS
ATAGS

भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूती देने के तहत सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति ने स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित की गई एडवांस्ड टोव्ड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) की खरीद को मंजूरी दे दी है। लगभग 7000 करोड़ रुपये की इस डील से भारतीय सेना की मारक क्षमता में बड़ा इजाफा होगा और देश की आत्मनिर्भरता को नई गति मिलेगी।

तोपखाने में होगा बदलाव

ATAGS भारत में विकसित की गई पहली 155 मिमी की आधुनिक आर्टिलरी गन है, जिसमें 52-कैलिबर लंबी बैरल लगी है। यह तोप 40 किमी तक सटीक निशाना साधने में सक्षम है। बड़ी कैलिबर क्षमता के कारण यह अधिक विस्फोटक पेलोड ले जा सकती है, जिससे इसका प्रभाव काफी घातक होता है। यह तोप स्वचालित तैनाती, लक्ष्य भेदन, और कम क्रू थकान जैसी उन्नत विशेषताओं से लैस है।

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‘मेक इन इंडिया’ को मिलेगी नई गति

ATAGS को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने भारतीय निजी उद्योग भागीदारों के सहयोग से विकसित किया है। इस सिस्टम में 65% से अधिक कलपुर्जे स्वदेशी हैं, जिनमें बैरल, मज़ल ब्रेक, ब्रिच मैकेनिज्म, फायरिंग और रिकॉइल सिस्टम जैसी प्रमुख इकाइयां शामिल हैं। यह न केवल भारतीय रक्षा उद्योग को मजबूत करेगा बल्कि विदेशी आयात पर निर्भरता भी कम करेगा।

रणनीतिक और सामरिक बढ़त

भारतीय सेना में ATAGS की तैनाती से पुराने 105 मिमी और 130 मिमी तोपों को बदला जाएगा, जिससे तोपखाने को अत्याधुनिक तकनीक से लैस किया जा सकेगा। इस तोप की पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर तैनाती से भारतीय सेना को रणनीतिक लाभ मिलेगा और युद्धक्षेत्र में इसकी मारक क्षमता कहीं अधिक प्रभावी होगी।

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टिकाऊपन और मेंटेनेंस सपोर्ट

ATAGS पूरी तरह से स्वदेशी तोप है, जिससे इसकी सप्लाई चेन और मेंटेनेंस सुचारु रूप से भारत में ही सुनिश्चित हो सकेगा। इससे लॉन्ग टर्म टेक्निकल सहायता और कम लागत में मरम्मत संभव हो पाएगी, जिससे भारतीय रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को और मजबूती मिलेगी।

विदेशी आयात पर निर्भरता में कमी

ATAGS का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें विदेशी पुर्जों की न्यूनतम जरूरत है। इसका नेविगेशन सिस्टम, मज़ल वेलोसिटी रडार और सेंसर सभी स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किए गए हैं। इससे भारत की रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और विदेशी आयात पर निर्भरता घटेगी।

रोजगार और निर्यात को बढ़ावा

इस स्वदेशी रक्षा प्रणाली के निर्माण से देश में लगभग 20 लाख मानव-दिवसों का रोजगार सृजित होने का अनुमान है। साथ ही, ATAGS के सफल निर्माण से भारत के रक्षा निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे आने वाले वर्षों में भारत वैश्विक रक्षा बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर सकता है। CCS की यह मंजूरी भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है और यह ‘मेक इन इंडिया’ पहल को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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First published on: Mar 20, 2025 02:59 PM

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