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दलाई लामा भारत के लिए कितने जरूरी? तिब्बती धर्मगुरु ने आज मनाया है 90वां जन्मदिन

Dala Lama Impact on India: तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा आज 90 साल के हो गए हैं। अब उनके उत्तराधिकारी का चयन किया जाएगा। भारत के लिए दलाई लामा कई मायनों में जरूरी हैं। उन्होंने भारत के शरण ली हुई है और हिमाचल के मैक्लोडगंज में उनका निवास स्थान है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: Jul 6, 2025 09:47
Dalai Lama | Spiritual Leader | Birthday
दलाई लामा के जन्मदिन के मौके पर 15 साल से 3 दिवसीय तिब्बती धार्मिक सम्मेलन मनाया जा रहा है।

Dalai Lama Impact on India: तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने आज 6 जुलाई 2025 को 90वां जन्मदिन मनाया। उन्होंने भारत के शरण ली हुई है और वे हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला जिले के शहर मैक्लोडगंज में रहते हैं। उनका जन्म महोत्सव उनके निवास स्थान पर ही मनाया गया। प्रधामनंत्री मोदी और अमेरिका ने उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजीजू और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू उन्हें शुभकामनाएं देने के लिए मैक्लोडगंज आए थे। हॉलीवुड एक्टर रिचर्ड गेरे भी समारोह में आए थे, लेकिन बता दें कि दलाई लामा भारत के लिए काफी मायने रखते हैं। भारत पर उनका रणनीतिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक और कूटनीतिक प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं कैसे…

 

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धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक प्रभाव

दलाई लामा का भारत पर धार्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव पड़ता है। दलाई लामा धार्मिक नेता है। तिब्बती बौद्ध धर्म के सर्वोच्च आध्यात्मिक नेता हैं। वर्ष 1959 में तिब्बत से आकर उन्होंने भारत में शरण ली थी। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला जिले को अपना निवास और ऑफिस बनाया। उनके आने से भारत में तिब्बती बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ है। भारत में तिब्बती मठ बनने से बौद्ध धर्म की स्टडी को बढ़ावा मिला। दलाई लामा के धर्मशाला में रहने से जिला टूरिस्ट प्लेस बन गया है। उनके अहिंसा और करुणा से भरे संदेश भारतीय समाज के एक बड़े वर्ग को गांधीवादी परंपरा की तरह प्रभावित करते हैं।

दलाई लामा के भारत में शरण लेने से चीन के साथ भारत के संबंध प्रभावित हुए। दलाई लामा को चीन अलगाववादी नेता मानता है। भारत ने उन्हें शरण दी तो चीन ने इसे अपनी संप्रभुता के खिलाफ माना। इसलिए भारत और चीन के संबंधों में तनाव है, लेकिन भारत ने चीन के साथ संबंध संतुलित किए हुए हैं। हालांकि भारत ने दलाई लामा को शरण देकर मानवीयता दिखाई है, लोकतंत्र का धर्म निभाया है, लेकिन यह भी सुनिश्चित किया है कि तिब्बती समुदाय भारत में ऐसी कोई राजनीतिक गतिविधि न करे कि चीन को भारत के खिलाफ उकसाए।

उत्तराधिकारी को लेकर चल रहा विवाद?

बता दें कि दलाई लामा के 90वें जन्मदिन पर उनके उत्तराधिकारी को लेकर विवाद चल रहा है, लेकिन उत्तराधिकारी चुनने का अंतिम फैसला उनकी इच्छा और तिब्बती बौद्ध परंपराओं पर निर्भर करेगा। दलाई लामा भी स्पष्ट कर चुके हैं कि गादेन फोडरंग ट्रस्ट जारी रहेगा और यही ट्रस्ट दलाई लामा का सेलेक्शन करेगा। भविष्य के दलाई लामा के पुनर्जन्म की पहचान करने की जिम्मेदारी भी केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट की होगी। सेलेक्शन के लिए तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुखों और धर्मरक्षकों से सलाह ली जाएगी। परंपरागत रीति-रिवाजों से दलाई लामा का सेलेक्शन होगा। मामले में किसी संस्था, राजनीतिक दल, किसी देश की सरकार, खासकर चीन की सरकार को दखल देने को कोई अधिकार नहीं है।

 

100 साल से ज्यादा जीने की इच्छा है

बता दें कि दलाई लामा ने 100 साल से ज्यादा जीने और पुनर्जन्म की इच्छा जताई है। 5 जुलाई 2025 को उन्होंने खुद को लेकर भविष्यवाणी की कि वे अभी 40 साल और जिएंगे। वे 130 साल की उम्र तक बौद्ध धर्म की सेवा करते रहेंगे। इससे पहले उन्होंने मौत होने बाद फिर से जन्म लेने की इच्छा जताई थी। दिसंबर 2024 में रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में दलाई लामा ने कहा था कि वे 110 साल की उम्र तक जी सकते हैं, लेकिन  14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो वीडियो संदेश जारी करके स्पष्ट कर चुके हैं कि वे अपना उत्तराधिकारी चुनने की जिम्मेदारी ‘गादेन फोडंग ट्रस्ट’ को सौंप चुके हैं। दलाई लामा ने ही साल 2015 में दलाई लामा से जुड़े मामलों के लिए ट्रस्ट का गठन किया था। यह ट्रस्ट आगे भी जारी रहेगा और यही ट्रस्ट दलाई लामा का सेलेक्शन करेगा।

First published on: Jul 06, 2025 09:26 AM

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