---विज्ञापन---

देश

‘बोलने की आजादी का मतलब सेना का अपमान नहीं’, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहुल गांधी को लगाई फटकार

सेना के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में राहुल गांधी को इलाहाबाद की लखनऊ बेंच ने फटकार लगाई है। राहुल गांधी पर भारत जोड़ो यात्रा के दौरान सेना पर अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप था। इसको लेकर लखनऊ की एक अदालत द्वारा समन जारी किया गया था।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Avinash Tiwari Updated: Jun 4, 2025 20:19
Rahul Gandhi
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (फोटो सोर्स- ANI)

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राहुल गांधी को फटकर लगाई है। कोर्ट ने कहा कि बोलने की आजादी (अभिव्यक्ति की आजादी) का यह मतलब नहीं है कि सेना के लिए अपमानजनक टिप्पणी की जाए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 19(1)(ए) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, लेकिन ये भारतीय सेना के लिए अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए नहीं है।

क्या है मामला?

बता दें कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी पर भारतीय सेना पर अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप था। लखनऊ की एक अदालत द्वारा इसको लेकर समन जारी किया गया था। इस समन के खिलाफ राहुल गांधी हाईकोर्ट गए और याचिका दायर की थी लेकिन कोर्ट ने इस याचिका को ही खारिज कर दिया है।

---विज्ञापन---

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने भारतीय सेना के बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर निचली अदालत के समन को चुनौती देने वाली राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने कहा कि विस्तृत निर्णय अगले सप्ताह सुनाया जाएगा। सरकार की कानूनी टीम कहा कि गांधी की याचिका स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि उनके पास सत्र न्यायालय में अपील करने का विकल्प है।


बता दें कि रिटायर सीमा सड़क संगठन (BRO) निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव द्वारा दर्ज कराई गई थी। उन्होंने दावा किया त्यह कि 16 दिसंबर 2022 को राहुल गांधी का बयान भारतीय सशस्त्र बलों के प्रति अपमानजनक और बदनाम करने वाले था। आरोप है कि राहुल गांधी नेक कहा था कि चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना के जवानों की पिटाई कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें : ‘ट्रंप का एक फोन और हो गए सरेंडर…’ सीजफायर को लेकर राहुल गांधी ने PM मोदी पर साधा निशाना

इस पर राहुल गांधी की तरफ से कहा गया था कि शिकायतकर्ता सेना का अधिकारी नहीं था और व्यक्तिगत रूप से उनकी मानहानि नहीं की है। इस पर कोर्ट ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 199(1) के तहत, प्रत्यक्ष पीड़ित के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को भी अपराध से प्रभावित होने पर “पीड़ित व्यक्ति” माना जा सकता है।

First published on: Jun 04, 2025 05:19 PM