इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राहुल गांधी को फटकर लगाई है। कोर्ट ने कहा कि बोलने की आजादी (अभिव्यक्ति की आजादी) का यह मतलब नहीं है कि सेना के लिए अपमानजनक टिप्पणी की जाए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 19(1)(ए) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, लेकिन ये भारतीय सेना के लिए अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए नहीं है।
क्या है मामला?
बता दें कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी पर भारतीय सेना पर अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप था। लखनऊ की एक अदालत द्वारा इसको लेकर समन जारी किया गया था। इस समन के खिलाफ राहुल गांधी हाईकोर्ट गए और याचिका दायर की थी लेकिन कोर्ट ने इस याचिका को ही खारिज कर दिया है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने भारतीय सेना के बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर निचली अदालत के समन को चुनौती देने वाली राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने कहा कि विस्तृत निर्णय अगले सप्ताह सुनाया जाएगा। सरकार की कानूनी टीम कहा कि गांधी की याचिका स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि उनके पास सत्र न्यायालय में अपील करने का विकल्प है।
The Allahabad High Court recently held that the right to freedom of speech and expression does not extend to making defamatory statements against the Indian Army.
---विज्ञापन---The High Court made the observation while rejecting a plea filed by Leader of Opposition Rahul Gandhi against a… pic.twitter.com/GD0vablEnK
— Bar and Bench (@barandbench) June 4, 2025
बता दें कि रिटायर सीमा सड़क संगठन (BRO) निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव द्वारा दर्ज कराई गई थी। उन्होंने दावा किया त्यह कि 16 दिसंबर 2022 को राहुल गांधी का बयान भारतीय सशस्त्र बलों के प्रति अपमानजनक और बदनाम करने वाले था। आरोप है कि राहुल गांधी नेक कहा था कि चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना के जवानों की पिटाई कर रहे हैं।
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इस पर राहुल गांधी की तरफ से कहा गया था कि शिकायतकर्ता सेना का अधिकारी नहीं था और व्यक्तिगत रूप से उनकी मानहानि नहीं की है। इस पर कोर्ट ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 199(1) के तहत, प्रत्यक्ष पीड़ित के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को भी अपराध से प्रभावित होने पर “पीड़ित व्यक्ति” माना जा सकता है।