Oppostion Unity: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने शनिवार को विपक्षी एकता पर करारा तंज कसा है। साथ ही खुद की पार्टी के स्टैंड पर भी सवाल उठाया। आचार्य प्रमोद ने कहा कि कभी दिल्ली तो कभी बंगाल छोड़ने की बात कही जा रही है। तमाम तरह की शर्तें लगाई जा रही है। यह विपक्षी एकता है या कांग्रेस मुक्त भारत का नूतन स्वरूप है।
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि AAP कहते हैं दिल्ली और पंजाब छोड़ दो, अखिलेश यादव कहते हैं यूपी छोड़ दो, ममता बनर्जी चाहती हैं कि बंगाल छोड़ दो, KCR चाहते हैं तेलंगाना छोड़ दो। जगन मोहन रेड्डी चाहते हैं आंध्र छोड़ दो, एमके स्टालिन चाहते हैं तमिलनाडु छोड़ दो, किसी दिन शरद पवार भी बोल देंगे महाराष्ट्र छोड़ दो। ये विपक्षी एकता है या कांग्रेस मुक्त भारत का नूतन स्वरूप?
AAP कहते हैं “दिल्ली”
और पंजाब छोड़ दो, @yadavakhilesh कहते हैं यूपी छोड़ दो, @MamataOfficial चाहती हैं बंगाल छोड़ दो, KCR चाहते हैं तेलंगाना छोड़ दो, @ysjagan चाहते हैं आंध्र छोड़ दो, @mkstalin चाहते हैं तमिलनाडु छोड़ दो, किसी दिन @PawarSpeaks भी बोल देंगे महाराष्ट्र छोड़ दो, ये…— Acharya Pramod (@AcharyaPramodk) June 17, 2023
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पटना में 23 मई को होगी विपक्षी दलों की बैठक
23 जून को पटना में विपक्षी दलों की बैठक होनी है। इसकी अगुवाई बिहार के सीएम नीतीश कुमार कर रहे हैं। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी जैसे तमाम लीडर शामिल होंगे। इस दौरान 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी।
#WATCH | "If discussions are held to introduce a law in national interest with a pure heart, we will think about it. We might welcome it. But I think the Uniform Civil Code issue is not being raised to bring uniformity to the country but to come to power for the third… pic.twitter.com/J53fX3HQgm
— ANI (@ANI) June 17, 2023
हम यूनिफार्म सिविल कोड का स्वागत करेंगे
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने यूनीफॉर्म सिविल कोड को लेकर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि देश की एकता के लिए, एक संविधान, एक कानून, एक विधान के लिए यदि शुद्ध मन से राष्ट्रीय हित में कानून लाने के लिए विचार विमर्श किया जाता है तो हम इसके बारे में सोचेंगे। हम इसका स्वागत कर सकते हैं।
आगे उन्होंने कहा कि अभी तक यूनिफार्म सिविल कोड का मसौदा तक तैयार नहीं किया गया है। मुझे लगता है कि बीजेपी इस मुद्दे को उछालना चाहती है और 2024 का चुनाव जीतना चाहती है। यह एक चतुर पार्टी है और इसकी पहेली को समझना आसान नहीं है।
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