Citizenship Amendment Act (CAA) Notification Update: देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) कब से लागू होगा, इसे लेकर चर्चाएं तेज हैं। बीजेपी ने इसे अपने मुख्य एजेंडे में शामिल किया है, लेकिन इसकी कोई तारीख नहीं बताई गई है। अब कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार ने CAA लाने की तैयारी तेज कर दी है। इसके नोटिफिकेशन को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। माना जा रहा है कि मार्च के पहले हफ्ते में इसका नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है।
लोकसभा चुनाव की आचार संहिता से पहले लाने की तैयारी
दरअसल, केंद्र सरकार लोकसभा चुनाव से पहले सीएए लागू करवाने की पूरी तैयारी कर चुकी है। आचार संहिता से पहले ही इसका नोटिफिकेशन लाया जा सकता है। सरकार सीएए को लेकर वेब पोर्टल भी बना रही है। उल्लेखनीय है कि गृह मंत्री अमित शाह अपने भाषणों में कई बार सीएए का जिक्र कर चुके हैं। उन्होंने हाल ही में कहा था कि सरकार लोकसभा चुनाव से पहले इसे लागू कर दिया जाएगा।
बड़ी खबर !
मार्च से लागू हो सकता है CAA
---विज्ञापन---CAA पोर्टल हो चुका है तैयार।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार का बड़ा फैसला। pic.twitter.com/gNqTMpMIyf
— Panchjanya (@epanchjanya) February 27, 2024
कौन होगा CAA का पात्र?
सीएए के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी मुल्कों से 31 दिसंबर 2014 से पहले आए अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। इन अल्पसंख्यकों में हिंदू, जैन, सिख, ईसाई, पारसी और बौद्ध शामिल हैं। मुस्लिम समुदाय इसमें शामिल नहीं है। केंद्र सरकार ने इससे पहले नागरिकता कानून में 2019 में संशोधन किया था।
Breaking News:
CAA RULES to be notified in the 1st week of March.
~ Home Ministry has prepared the portal.Religious minorities of Pak & Bangladesh will get citizenship.
✓ Deadline: 31 December, 2014. pic.twitter.com/k2Kxmz9GOT— The Analyzer (News Updates🗞️) (@Indian_Analyzer) February 27, 2024
संसद ने नागरिकता संशोधन विधेयक को 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया था। इसे बाद में राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी। हालांकि केंद्र सरकार अब तक पड़ोसी मुल्क के नागरिकों को भारत की नागरिकता देती आई है, लेकिन ये थोड़ा लंबा प्रॉसेस होता है। सीएए लागू होने के बाद नागरिकता लेना कमोबेश आसान हो जाएगा।
क्या होंगे CAA के नियम?
जानकारी के अनुसार, सीएए के तहत नागरिकता लेने के लिए आवेदन करना होगा। आवेदक को भारत में रहने की अवधि साबित करनी होगी। इसके साथ ही उसे ये साबित करना होगा कि वे धार्मिक उत्पीड़न के चलते पड़ोसी देश छोड़ने पर मजबूर हुए थे। इसके साथ ही संविधान की आठवीं अनुसूची और नागरिक कानून 1955 की तीसरी सूची के मुताबिक शर्तों को भी पूरा करना होगा।
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