Chief Election Commissioner Bill, नई दिल्ली: संसद के उच्च सदन में मुख्य चुनाव आयुक्त एवं चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें एवं पदावधि) विधेयक 2023 लाए जाने के बाद हंगामा खड़ा हो गया। इस पर पूरा विपक्ष फट पड़ा है और इसी बीच आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने भी सवाल उठाया है। मंगलवार को उन्होंने सदन में कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) चुनाव आयोग पर कब्जा करना चाहती है। चड्ढा ने तो यहां तक भी तंज कस डाला कि ऐसे तो भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा भी चुनाव आयुक्त बन जाएंगे।
“इस बिल के तहत संबित पात्रा भी बन सकते है चुनाव आयुक्त”
---विज्ञापन---◆ Chief Election Commissioner Bill पर आप सांसद @raghav_chadha ने कहा#RaghavChadha #ChiefElectionCommissioner | #CECBill @AamAadmiParty pic.twitter.com/4WkSr9FVla
— News24 (@news24tvchannel) December 12, 2023
---विज्ञापन---
यह भी पढ़ें: GPAI Summit में पीएम मोदी ने डीप फेक को बताया वैश्विक चुनौती, कहा- एआई के क्षेत्र में भारत फ्रंट रनर
आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि देश में विभिन्न चुनावों संबंधी निर्णय चुनाव आयोग का अधिकारक्षेत्र है। यहां तक कि 2 मार्च 2023 को चुनाव आयोग की नियुक्ति के मामले में किसी भी तरह के सरकारी हस्तक्षेप की बात को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ भी नकार चुकी है, वह भी सर्वसम्मति से। अब मोदी सरकार द्वारा लाया जा रहा विधेयक न सिर्फ चीफ जस्टिस का, बल्कि सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था और खुद अपनी पार्टी (भाजपा) के फाउंडर मेंबर लालकृष्ण आडवाणी का भी अपमान है। उन्होंने याद दिलाया कि किस तरह आडवाणी ने मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन के लिए प्रधानमंत्री, कानून मंत्री, नेता प्रतिपक्ष और लोकसभा-राज्यसभा में विपक्ष के नेता पर आधारित पांच सदस्यीय समिति बनाए जाने के वकालत की थी। इसी के साथ उन्होंने (AAP सांसद राघव चड्ढा ने) सरकार से इस विधेयक को वापस ले लेने की अपील की।
यह भी पढ़ें: कैसे मोहन यादव सीएम पद के लिए बने पहली पसंद? बीजेपी नेता बोले- ऐसा सिर्फ भाजपा में ही संभव है, कांग्रेस में नहीं
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट ही रही है तो क्या करे सरकार?
उधर, राघव चड्ढा ने कहा कि अगर मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट ही रही तो उनके तीन में से किसी एक सुझाव को मान ले, पूरा सदन समर्थन करेगा। चड्ढा का पहला सुझाव प्रधामनंत्री और नेता प्रतिपक्ष द्वारा चुनाव आयोग की नियुक्ति का है। दूसरा लाल कृष्ण आडवाणी की पांच सदस्यीय समिति वाली बात मान ले। अगर इतना भी नहीं तो संवैधानिक सभा में प्रो. शिबनलाल सक्सेना के कहे अनुसार चयन समिति दो-तिहाई बहुमत से पास कराए।