Chhagan Bhujbal May Join Shiv Sena Uddhav Thackrey: महाराष्ट्र की महायुति सरकार में शामिल एनसीपी में सब कुछ ठीक नहीं है। खबर है कि उनकी पार्टी के बड़े ओबीसी नेता छगन भुजबल उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना जाॅइन कर सकते हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि वे अजित पवार से नाराज हैं। नाराजगी को लेकर भी फिलहाल अटकलबाजियों का बाजार गर्म हैं। एक खबर तो यह भी चल रही है कि छगन भुजबल से यूबीटी के वरिष्ठ नेता ने पिछले सप्ताह मुलाकात की थी। ऐसे में आइये जानते हैं छगन भुजबल क्यों नाराज हैं?
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान आंदोलन के नेता मनोज जरांगे ने ओबीसी के आरक्षण का कुछ हिस्सा मराठाओं को देने की मांग की थी। उन्होंने यह मांग सीएम शिंदे के साथ आरक्षण के मुद्दे पर सहमति बनने के बाद की थी। इसके बाद ओबीसी नेता लक्ष्मण हाके भी पिछले एक सप्ताह से अनशन पर बैठे हैं। वे ओबीसी आरक्षण में छेड़छाड़ के खिलाफ है। यहां शिंदे सरकार की मुश्किलें मंत्री छगन भुजबल ने बढ़ा दी हैं। क्योंकि छगन भुजबल ने भी सरकार को धमकी दी है कि अगर ओबीसी आरक्षण से छेड़छाड़ हुई तो वे मंत्री पद से इस्तीफा देकर आंदोलन में शामिल हो जाएंगे।
राज्यसभा नहीं भेजे जाने पर भी हुए थे नाराज
भुजबल की दूसरी नाराजगी राज्यसभा नहीं भेजे जाने को लेकर है। पिछले दिनों अजित पवार ने पत्नी सुनेत्रा को राज्यसभा भेजने का फैसला किया था। वे बीजेपी के सहयोग से पत्नी को राज्यसभा भेजना चाहते हैं। इसके लिए उनकी पत्नी ने नामांकन भी दाखिल कर दिया है। सुनेत्रा नामांकन भरने के बाद मीडिया से बात करते हुए भुजबल ने कहा कि उनकी इच्छा थी कि वे राज्यसभा जाए लेकिन पार्टी ने सर्वसम्मति से सुनेत्रा जी को राज्यसभा भेजने का फैसला लिया है। इस दौरान उन्होंने कहा कि वे नाराज नहीं हैं।
हालांकि उन्होंने सभी संभावनाओं को दरकिनार करते हुए कहा कि मेरी नाराजगी की खबरें मीडिया ज्यादा चला रहा है। मैं किसी से नाराज नहीं हूं। वहीं शिवसेना सांसद संजय राउत ने उन पर तंज कसते हुए कहा कि शिवसेना से निकले हुए लोग भटकती आत्माएं हैं। उन्होंने इस बयान के बहाने एकनाथ शिंदे और नारायण राणे पर निशाना साधा।
जानें कौन हैं छगन भुजबल
बता दें कि छगन भुजबल ने 1960 में बाला साहेब ठाकरे से प्रभावित होकर राजनीति में प्रवेश किया और उनकी पार्टी शिवसेना जाॅइन की। इसके बाद 1991 में उन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद जब कांग्रेस से नाराज होकर शरद पवार ने 1998 में एनसीपी बनाई तो वे भी एनसीपी में चले गए। छगन भुजबल पहली बार 1985 में मंझगांव से विधायक चुने गए। इसके बाद 1990 में भी वे शिवसेना के टिकट पर यहां से एमएलए बने। वे फिलहाल येओला निर्वाचन क्षेत्र से 2004 से विधायक हैं। इस बीच भुजबल ने 2014 में नासिक से भी चुनाव लड़ा लेकिन यहां उन्हें शिवसेना के हेमंत गोडसे ने हरा दिया। छगन भुजबल फिलहाल महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में मंत्री हैं।
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