Chandrayaan 3: भारत के चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) की लैंडिंग को लेकर दुनियाभर की निगाहें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) पर जमी हुई हैं। देशभर में मंदिर से लेकर मस्जिद तक दुआओं और प्रार्थनाओं का दौर जारी है। हर किसी की बस एक ही कामना है कि मिशन चंद्रयान सफल हो जाए। ऐसे में एक बड़ा सवाल ये आता है कि अभियान के सफल होने के बाद क्या होगा? रोवर किस तरह का शोध करेगा। इसे चंद्रमा पर क्यों भेजा गया है?
…तो उसके बाद क्या होगा?
रिपोर्ट के अनुसार, चंद्रयान-3 में अलग-अलग पेलोड हैं, जिनका इस्तेमाल अलग-अलग शोध के लिए किया जाएगा। पहले बताते हैं कि पेलोड एक डिवाइस है, जो विशेष उद्देश्य के लिए उपग्रह पर भेजा गया है। ये अपने उद्देश्य, आकार, संरचना और क्षमताओं में भिन्न होता है। इसरो के अनुसार, ये पेलोड (यानी लैंडर पेलोड, रोवर पेलोड और प्रोपल्शन मॉड्यूल पेलोड) सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद विभिन्न शोधों के लिए काम करेंगे और अपने उद्देश्यों को पूरा करेंगे।
लैंडर पेलोड
RAMPHA-LP (लैंगमुइर जांच) का उपयोग श्रवण सतह प्लाज्मा (आईओएम और इलेक्ट्रॉन) घनत्व और समय के साथ इसके परिवर्तनों को मापने के लिए किया जाएगा। चाएसटीई (चंद्र सतह थर्मो-भौतिक प्रयोग) का उद्देश्य ध्रुवीय क्षेत्र के पास चंद्रमा की सतह के तापीय गुणों (टेंप्रेचर) को मापना होगा। जबकि आईएलएसए (चंद्र भूकंपीय गतिविधि के लिए उपकरण) का उपयोग आसपास की भूकंपीयता को नापने, चंद्र क्रस्ट और मेंटल की संरचना को जानने के लिए किया जाएगा।
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रोवर पेलोड
एपीएक्सएस (अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर) यानी रोवर पेलोड भी अपने खास उद्देश्य पर है। यह चंद्रमा की सतह के बारे में हमारी समझ को और बढ़ाएगा। इसके लिए यह वहां की रासायनिक संरचना का हासिल करके खनिज संरचना का अनुमान लगाने में मदद करेगा। एलआईबीएस (लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप) लैंडिंग स्थल के आसपास चंद्र मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना की जांच करेगा।
प्रोपल्शन मॉड्यूल पेलोड
प्रोपल्शन मॉड्यूल पेलोड SHAPE (हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ का स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री) भी एक खास पेलोड है। ये अवरक्त तरंग दैर्ध्य रेंज (किसी भी गृह पर मौजूद तरंगे, जैसे-ध्वनि तरंगे, पराध्वनि तरंगे, भूकंपीय तरंगे आदि) का अध्ययन करेगा।
बता दें कि चंद्रयान-3 के आज शाम करीब 6:04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर लैंड करने की उम्मीद है। इसकी लाइव स्ट्रीमिंग शाम 5:20 बजे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान की आधिकारिक वेबसाइट, यूट्यूब और फेसबुक पेज पर शुरू होगी। संगठन (इसरो)। प्रसारण का सीधा लिंक पाने के लिए यहां क्लिक करें।