Chandrayaan-3: अब अपना चंद्रयान-3 चंद्रमा से एक कदम दूर है। मंगवार को इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 की पांचवी और आखिरी बार अर्थ बाउंड ऑर्बिट रेजिंग प्रोसेस को सफलतापूर्वक पूरा किया। मतलब चंद्रयान-3 अब पृथ्वी की आखिरी कक्षा में पहुंच गया है। चंद्रयान अब 127609 km X 236 Km की कक्षा में है। चंद्रयान-3 पृथ्वी के चारों ओर अंडाकार कक्षा में चक्कर लगा रहा है। पृथ्वी से उसकी सबसे कम दूरी 236 किमी है और सबसे ज्यादा 127609 किमी है।
अब एक अगस्त की तारीख चंद्रयान-3 के लिए अहम है। उस दिन वैज्ञानिक चंद्रयान-3 को पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की ऑर्बिट में ट्रांसफर करेंगे। पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलते ही यान को चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण अंततः इसे चंद्र कक्षा में खींच लेगा। अंतिम लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग है।
Chandrayaan-3 Mission:
The orbit-raising maneuver (Earth-bound perigee firing) is performed successfully from ISTRAC/ISRO, Bengaluru.
---विज्ञापन---The spacecraft is expected to attain an orbit of 127609 km x 236 km. The achieved orbit will be confirmed after the observations.
The next… pic.twitter.com/LYb4XBMaU3
— ISRO (@isro) July 25, 2023
भारत बनेगा चंद्रमा तक पहुंचने वाला चौथा देश
इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 अगले महीने 23 या 24 अगस्त तक चंद्रमा की सतह (जहां पानी होने की संभावना है) पर लैंड करेगा। इस मून मिशन की सफलता के बाद भारत चंद्रमा तक पहुंच बनाने में दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अभी तक संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन को यह उपलब्धि हासिल हो सकी है।
14 दिन साउथ पोल पर रहेंगे लैंडर-रोवर
चंद्रयान में लगे लैंडर और रोवर चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड करेंगे और 14 दिन तक वहां प्रयोग करेंगे। 14 जुलाई को इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 लॉन्च किया था। पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 3.84 लाख किमी है।
चंद्रयान-3 के उद्देश्य क्या हैं?
इसरो का कहना है कि चंद्रयान-3 के तीन मिशन उद्देश्य अपने पूर्ववर्ती के समान ही हैं-
- चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना।
- रोवर को चंद्रमा पर घूमते हुए प्रदर्शित करना।
- यथास्थान वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना।
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