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‘जोश हाई था…’ नाम हैं नेहा भंडारी, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को दिया करारा जवाब

देश की बेटियां अब सिर्फ घर की नहीं, सरहद की भी शान बन रही हैं। BSF की असिस्टेंट कमांडेंट नेहा भंडारी ने ऑपरेशन सिंदूर में जो साहस और नेतृत्व दिखाया, वह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। आइए जानें उनके जज्बे की पूरी कहानी।

Author Edited By : Ashutosh Ojha Updated: May 27, 2025 17:52
Neha Bhandari BSF
Neha Bhandari BSF

BSF की असिस्टेंट कमांडेंट नेहा भंडारी ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जो साहस और नेतृत्व दिखाया, वह पूरे देश के लिए गर्व की बात है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से ताल्लुक रखने वाली नेहा एक फौजी परिवार से आती हैं। उनके दादा सेना में थे, माता-पिता दोनों ही CRPF में सेवारत हैं। खुद को ‘तीसरी पीढ़ी की सोल्जर’ बताने वाली नेहा बचपन से ही वर्दी बहुत पसंद थी। साल 2022 में उन्होंने BSF में बतौर असिस्टेंट कमांडेंट अपनी सेवा शुरू की और मात्र तीन साल में ही उन्हें वह जिम्मेदारी मिल गई, जिसके लिए हर सैनिक सपने देखता है। आइए जानते हैं ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उनके अनुभवों के बारे में।

ऑपरेशन सिंदूर में अग्रिम मोर्चे पर तैनाती

नेहा भंडारी ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जम्मू के अखनूर सेक्टर में इंटरनैशनल बॉर्डर पर तैनात थीं। यह वह समय था जब सीमा पर पाकिस्तान की ओर से लगातार फायरिंग, ड्रोन हमले और मोर्टार बमबारी हो रही थी। नेहा अपनी पूरी कंपनी की कमान संभाल रहीं थीं, जिसमें महिला जवान भी शामिल थीं। उन्होंने न केवल दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि उनकी बटालियन सुरक्षित रहे। गोलियों की आवाज और मोर्टार के धमाकों के बीच भी उनकी टीम का मनोबल अडिग रहा। नेहा कहती हैं, ‘हमने एक सैनिक की तरह ड्यूटी निभाई, न कि एक महिला की तरह।’

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नेहा भंडारी ने बताया ऑपरेशन सिंदूर का जोश

नेहा भंडारी ने बताया कि इस ऑपरेशन के दौरान BSF के जवानों का जोश बहुत हाई था। वे अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) पर तैनात अपनी कंपनी का नेतृत्व कर रही थीं, जिसका काम सीमा पर किसी भी घुसपैठ की कोशिश को रोकना और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देना था। उन्होंने कहा, ‘हमने अपनी सारी जिम्मेदारियां पूरी ईमानदारी और बहादुरी से निभाई।’ इस ऑपरेशन में पुरुषों के साथ-साथ महिला जवानों ने भी अपनी भूमिका पूरी निष्ठा से निभाई।

दुश्मन को मिला कड़ा जवाब

नेहा ने बताया कि BSF के जवानों ने दुश्मन पर हाई और फ्लैट ट्रैजेक्टरी हथियारों से गोलीबारी की और पाकिस्तान को कड़ा जवाब दिया। उनके पास सुरक्षित पोस्ट और बंकर थे, जो उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करते थे। इस तरह के सशक्त और संगठित प्रयास से BSF ने सीमा की रक्षा में अपनी तत्परता और मजबूती दिखाई। जम्मू के फ्रंटियर्स हेडक्वार्टर में BSF के DIG वीरेंद्र दत्ता ने भी ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सुन्दरबनी सेक्टर में सबसे ज्यादा गोलीबारी हुई और BSF ने दो पाकिस्तानी लॉन्च पैड नष्ट कर दिए। खासतौर पर लूनी लॉन्च पैड को रात में बिना देरी किए ध्वस्त कर दिया गया, जिससे पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ था।

ड्रोन और मोर्टार से बचाव के लिए खास इंतजाम

DIG वीरेंद्र दत्ता ने बताया कि दुश्मन ने इस ऑपरेशन के दौरान 120 भारी मोर्टारों का इस्तेमाल किया, लेकिन BSF ने भी पूरी ताकत से इसका जवाब दिया। साथ ही ड्रोन के खतरे से निपटने के लिए एंटी-ड्रोन (AD) गन्स लगाई गईं और स्थानीय लोगों को सावधानी बरतने की हिदायत दी गई। उन्होंने साफ कहा कि अगर पाकिस्तान ने फिर से इस तरह की हरकत की तो उसे और भी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा। BSF के अन्य अधिकारियों ने भी बताया कि आतंकवादियों की हरकतों की खबर मिलते ही उन्होंने सही समय पर बमबारी कर हमला किया। इस दौरान दुश्मन के कई ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिससे 7 से 12 के बीच आतंकी मारे गए, हालांकि इसकी पुष्टि पाकिस्तान की तरफ से मीडिया प्रतिबंध के कारण नहीं हो पाई।

पांहलगाम हमला और बदले की भावना

BSF के DIG चित्तरपाल ने पांहलगाम हमले का जिक्र करते हुए बताया कि उस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या से पूरे देश में गहरा दुख और बदले की भावना उत्पन्न हुई। पाकिस्तान को भी इस बात की जानकारी थी कि भारत की तरफ से बदला लिया जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मई की शुरुआत में हुई सीमा पर गोलीबारी और जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान की हरकतों को रोकने में मदद मिली। उन्होंने कहा कि BSF के जवान पूरी तरह तैयार थे और पाकिस्तान की हरकतों को काबू में किया गया।

First published on: May 27, 2025 05:52 PM

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