Property Rights in India landmark judgment: मां बाप की जायदाद से बच्चे कभी भी बेदखल किए जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पैतृक संपत्ति पर अहम फैसला सुनाया. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बैंच ने एक बुजुर्ग को मालिकाना हक दिलाया. बुजुर्ग के बेटे ने अपनी पैतृक जायदाद पर कब्जा कर लिया था और अपने पिता को भी उनमें प्रवेश की इजाजत नहीं दे रखी थी. अभागे पिता ने बेटे के खिलाफ कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट ने बेटे को पिता की संपत्ति खाली करने का आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा
मां-बाप के अधिकार बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि परेंट्स और सीनियर सिटीजंस अपनी संपत्ति से बच्चों को कभी भी बेदखल कर सकते हैं. भरण-पोषण एवं कल्याण एक्ट 2007 के तहत गठित ट्रिब्यूनल को परेंट्स और सीनियर सिटीजंस को ऐसे बच्चों को संपत्ति से बेदखल करने का अधिकार देता है जो उन्हें रहने-खाने की जिम्मेदारी देने से भागें. सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के इस मामले में बड़े बेटे के खिलाफ बेदखली के आदेश को भी पलट दिया.
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क्या है मामला
बुढ़ापे में देखभाल की जिम्मेदारी नहीं निभाने के कारण बुजुर्ग ने ट्रिब्यूनल में अपील की थी. ट्रिब्यूनल ने उनके बेटे को संपत्ति से बेदखल करने का भी आदेश दिया था, लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल को अमान्य करार दिया तो केस सुप्रीम कोर्ट में चला गया था. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बैंच ने इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को पलटते हुए कहा कि 2007 का कानून वृद्ध व्यक्तियों की दुर्दशा दूर करने तथा उनकी देखभाल एवं सुरक्षा के लिए बनाया गया था.
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