Black Box: दुबई में एयर शो के दौरान एक बड़ा विमान हादसा हो गया. दुबई में आयोजित हो रहे एयर शो में फ्लाइट डिस्प्ले के दौरान भारतीय HAL का तेजस विमान क्रैश हो गया. यह हादसा शुक्रवार को दोपहर में 2:10 पर हुआ. हादसे के दौरान विमान में सवार पायलट की मौत हो गई. हादसे की जांच के लिए अब विमान के ब्लैक बॉक्स की तलाश की जा रही है. हम आपको बताते है कि ब्लैक बॉक्स क्या होता है और इससे क्या-क्या जानकारी मिलती है.
किसी भी विमान की डिजिटल मेमोरी होता है ब्लैक बॉक्स
ब्लैक बॉक्स को तकनीकी रूप से फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (Flight Data Recorder–FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (Cockpit Voice Recorder–CVR) कहा जाता है. यह किसी भी विमान की डिजिटल मेमोरी होता है. टेकऑफ से लेकर लैंडिंग तक, विमान के हर मूवमेंट, हर साउंड और हर कम्युनिकेशन को यह रिकॉर्ड करता है. विमान में लगाए जाने वाले इस बॉक्स का नाम ब्लैक बॉक्स होता है, लेकिन असल में यह चमकीले नारंगी रंग का होता है. दुर्घटना के बाद मलबे में आसानी से दिखाई दे जाए इसलिए इसका रंग चमकीला होाता है. इसकी बनावट भी इतनी मजबूत होती है कि यह उच्च तापमान, गहरे पानी और भारी दबाव तक को झेल सकता है.
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क्या-क्या होता है ब्लैक बॉक्स में रिकॉर्ड?
ब्लैक बॉक्स दो हिस्सों में बंटा होता है. जिनमें एक हिस्से को फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर FDR (Flight Data Recorder) कहा जाता है. इसमें इंजन का परफॉर्मेंस, विमान की गति, ऊंचाई, दिशा, ईंधन स्तर रिकार्ड होता है. इसके अलावा दूसरे हिस्से को कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर CVR (Cockpit Voice Recorder) कहा जाता है. इसमें पायलट और को-पायलट के बीच बातचीत, इमरजेंसी अलार्म्स और चेतावनियां, एयर ट्रैफिक कंट्रोल के साथ संवाद रिकार्ड होता है. इन दोनों रिकॉर्डर का डेटा विमान दुर्घटना की वजहों को समझने में मददगार होता है. जब विमान क्रैश होता है, तो उसकी बाहरी बनावट नष्ट हो सकती है, लेकिन ब्लैक बॉक्स को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यह 10000 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान, समुद्र की गहराई और जबरदस्त टक्कर तक झेल सकता है.
कैसे बनाया जाता है ब्लैक बॉक्स?
ब्लैक बॉक्स को टाइटेनियम या स्टील अलॉय से और कई शॉकप्रूफ और फायरप्रूफ परतों से बनाया जाता है, ताकि डेटा स्टोरेज को अत्यधिक सुरक्षित और स्थिर बनाए रखा जा सके. हर विमान हादसे के बाद लोग यही सवाल करते हैं आखिर क्या हुआ? और इस सवाल का जवाब ब्लैक बॉक्स से मिलता है. दुबई में हुए हादसे के बाद इसकी जांच के लिए इसी डिवाइस की तलाश की जा रही है, ताकि घटना की असली वजह पता चल सके. ब्लैक बॉक्स लगभग 1 महीने तक सक्रिय रह सकता है. इसमें लगे अंडरवॉटर लोकेटर बीकन की मदद से यह पानी में भी तलाश किया जा सकता है.
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