भारतीय जनता पार्टी ने ‘एक देश, एक चुनाव’ को लेकर समाज के विभिन्न वर्गों से संवाद की मुहिम तेज कर दी है। इसी कड़ी में अखिल भारतीय पसमांदा मुस्लिम मंच की ओर से इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित पसमांदा मुस्लिम संवाद कार्यक्रम में इस मुद्दे पर विशेष चर्चा हुई। कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री और वरिष्ठ नेता सुनील बंसल मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए।
सुनील बंसल ने कहा कि भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए ‘एक देश, एक चुनाव’ बेहद जरूरी है। बार-बार चुनाव होने से देश की विकास प्रक्रिया बाधित होती है और आर्थिक संसाधनों पर भी भारी दबाव पड़ता है। यह प्रणाली लागू होती है तो भारत की प्रगति में आने वाले स्पीड ब्रेकर हट जाएंगे।
खर्च में कटौती और प्रशासनिक मजबूती की बात
बंसल ने बताया कि एक लोकसभा चुनाव पर औसतन ₹1.35 लाख करोड़ रुपये खर्च होते हैं, जबकि पूरी चुनावी प्रक्रिया में यह खर्च ₹4.5 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि यदि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं तो यह खर्च काफी हद तक कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एक वोट पर करीब ₹1400 का खर्च आता है और हर साल होने वाले चुनावों से यह बोझ कई गुना बढ़ जाता है।
नीति निर्माण और पारदर्शिता को मिलेगा बल
भाजपा की सोच है कि बार-बार चुनावों की वजह से सरकारों को हर 6 महीने में खुद को साबित करना पड़ता है, जिससे नीति निर्माण प्रभावित होता है। एक साथ चुनाव होने से राजनीतिक स्थिरता बढ़ेगी और सरकारें पूरे कार्यकाल में ठोस फैसले ले सकेंगी। इसके साथ ही पारदर्शिता भी बढ़ेगी और भ्रष्टाचार में कमी आएगी।
पसमांदा समाज की भूमिका को बताया अहम
कार्यक्रम में अखिल भारतीय पसमांदा मुस्लिम मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष जावेद मलिक ने भी ‘एक देश, एक चुनाव’ की जरूरत को समय की मांग बताया। उन्होंने कहा कि बार-बार होने वाले चुनावों में समय और संसाधनों की भारी बर्बादी होती है। उन्होंने कहा, ‘अगर चुनाव एक साथ कराए जाएं तो इन संसाधनों का उपयोग भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए किया जा सकता है।’
पहले भी एक साथ होते थे चुनाव
बता दें कि भारत में एक साथ चुनाव कराने की परंपरा नई नहीं है। 1951 से 1967 तक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते थे, जिसे सरकार अब फिर से लागू करने के प्रयास में है।
सामाजिक समरसता की दिशा में पहल
बीजेपी की यह पहल पसमांदा समाज के साथ संवाद और उन्हें राष्ट्रीय मुद्दों से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पसमांदा समुदाय के बुद्धिजीवियों, धार्मिक नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में ये तय हुआ की पसमंदा समाज के बुद्धिजीवी इस योजना पर सरकार के साथ हैं और इस विचार को आगे बढ़ाने और समाज के हर वर्ग को इससे जोड़ने में वो भी साथ जुड़ेंगे।
एक देश एक चुनाव पीएम मोदी का ब्रेन चाइल्ड
एक देश एक चुनाव को पीएम मोदी का ब्रेन चाइल्ड कहा जाता है। कई मौके पर पीएम इसकी जरूरत पर बल दे चुके हैं। संसद में इससे जुड़ा बिल भी पेश किया गया था और इसे और अधिक चर्चा और विमर्श के लिए जेपीसी के पास भेज दिया गया है। इस बिल के जेपीसी में भेजे जाने के बाद से ही बीजेपी ने इसके पक्ष में देश भर में सेमिनार और संगोष्ठियों का आयोजन शुरू कर दिया है। पार्टी तमाम वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों को इसके के पक्ष में माहौल बनाने और समर्थन जुटाने के लिए देश के अलग हिस्सों में सेमिनार और संपर्क के लिए भेज रही है ताकि जब ‘एक देश, एक चुनाव’ से जुड़ा बिल जेपीसी से वापस लौटकर संसद में आए तो एक माहौल उसके पक्ष में बना रहे।