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मृत दिखाए गए ‘जिंदा’ लोगों को पेश कर योगेंद्र यादव ने किया बड़ा दावा, बिहार SIR पर SC में क्या बोला चुनाव आयोग?

Bihar SIR Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में योगेंद्र यादव ने उन जिंदा लोगों को पेश किया, बिहार SIR में जिन्हें मृत दिखाया गया और उनके नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए। इन लोगों की तस्वीरें भी सामने आई हैं, जिन्हें बिहार SIR पर मचे बवाल के बीच बड़ा सबूत माना जा रहा है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Khushbu Goyal Updated: Aug 12, 2025 20:13
Bihar SIR | Supreme Court | Yogendra Yadav
सुप्रीम कोर्ट में बिहार SIR को लेकर सुनवाई चल रही है।

Bihar SIR Latest Update: बिहार SIR पर घमासान और सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई जारी है। सुप्रीम कोर्ट में आज हुई सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी, अभिषेक मनु सिंघवी और योगेंद्र यादव ने दलीलें पेश की। RJD सांसद सुधाकर सिंह ने जिंदा लोगों को मृत दिखाकर वोटर लिस्ट से उनके नाम हटाने का दावा किया तो योगेंद्र यादव ने उन 4 लोगों को सुप्रीम कोर्ट की बेंच के समक्ष पेश किया, जो जिंदा हैं, लेकिन मृत दिखाकर उनके नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए हैं। इन चारों लोगों की तस्वीरें भी सामने आई हैं, जो वायरल हो रही हैं।

योगेंद्र यादव ने क्या दावा किया?

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में योगेंद्र यादव ने एक महिला को पेश किया और दावा किया कि इनको मृत बताकर इनका नाम मतदाता सूची से काट दिया गया है।योगेंद्र यादव ने कहा कि बेंच के सामने एक महिला और एक पुरुष को पेश कर रहा हूं। 2 और ऐसे लोग सुप्रीम कोर्ट में मौजूद हैं और पीछे खड़े हैं। वहीं चुनाव आयोग के वकील ने इसका विरोध किया और कहा कि वोटर लिस्ट में इनका नाम जोड़ने के लिए आवेदन दीजिए, यहां ड्रामा मत कीजिए। ऐसा ड्रामा टीवी स्टूडियो में चलता है।

अभिषेक मनु सिंघवी क्या बोले?

वहीं अभिषेक मनु सिंघवी ने बिहार SIR प्रक्रिया को गैर-कानूनी साबित करने के लिए दलील दी। उन्होंने दलील दी कि आधार और वोटर कार्ड को पहचान का वैध दस्तावेज मानने में दिक्कत क्या है? यह बिल्कुल साफ है कि चुनाव आयोग इन्हें देखना नहीं चाहता, क्योंकि नागरिकता तय करने के लिए यह अपर्याप्त हैं। नागरिकता तय करना चुनाव आयोग के क्षेत्राधिकार में नहीं आता, लेकिन चुनाव आयोग अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम कर रहा है।

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर साबित करते हैं कि बिहार SIR की प्रक्रिया गैर-कानूनी है तो इस पूरी प्रक्रिया को रद्द किया जा सकता है।  बता दें कि जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाला बागची मामले की सुनवाई कर रहे हैं। बिहार में SIR 24 जून 2025 को शुरू हुआ था। गत 8 जुलाई को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी हुई थी, जिस पर बिहार में विपक्षी दल ने सवाल उठाए। विपक्ष के नेता RJD लीडर तेजस्वी यादव ने अपना नाम वोटर लिस्टमें नहीं होने का दावा किया।

विवाद बढ़ते हुए दिल्ली तक पहुंचा और केंद्र में विपक्षी दल INDIA अलायंस ने बिहार SIR में हेरफेर का दावा करते हुए चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर सवाल उठाए। वर्तमान में बिहार SIR पर प्रदेश और केंद्र की सियासत गरमाई हुई है।

First published on: Aug 12, 2025 07:29 PM

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