एक तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दुनियाभर में शांति दूत बनने के लिए कई जतन करते दिखाई पड़ रहे हैं। रूस-यूक्रेन, हमास-इजरायल, भारत-पाक और न कितने ऐसे देश जिनकी बीच में मध्यस्ता कराने के लिए ट्रंप हमेशा तत्पर रहते हैं। गाजा में शांति विराम के लिए इजरायल के राष्ट्रपति नेतन्याहू को व्हाइट हाउस बुलाया। ट्रंप का उद्देश्य शांतिदूत बनकर नोबेल पुरस्कार लेने की कोशिश में हैं। इसी बीच भारत में शांति की बड़ी बैठक होने वाली है।
भारत में सैन्य शक्तियों का जमावड़ा लगने वाला है। संयुक्त राष्ट्र (UN) के शक्तिशाली 30 देशों के सेना प्रमुख नई दिल्ली में जुटने वाले हैं। ये सभी देश संयुक्त राष्ट्र में शांति मिशनों के लिए सेना भेजने वाले देश हैं। नई दिल्ली में 14 से 16 अक्टूबर तक ‘कॉन्कलेव ऑफ आर्मी चीफस ऑफ यूनाईटेड नेशन टूप कॉन्ट्रब्यूटिंग कंट्री’ बैठक का आयोजन होगा। इसमें 30 देशों के सेना प्रमुख और वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। बैठक में शांति स्थापना में देशों की जिम्मेदारी, अनुभव और सहयोग पर चर्चा होगी।
शांति में भारत का योगदान
बता दें कि भारत ने साल 1950 से लेकर अब तक 2,90,000 से अधिक शांति सैनिक भेजे हैं। शांति सैनिक अक्सर चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में काम करते हैं और 182 सैनिकों ने अपने प्राणों की बलिदान दी है। भारत पहली बार 2007 में लाइबेरिया में ऑल-वुमन पुलिस कंटिन्जेंट भेजने वाला देश बना। वर्तमान में सभी मिशनों में महिला टीम्स (FETs) शामिल हैं, जो महिलाओं को संघर्ष क्षेत्रों में सशक्त बनाती हैं।
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बैठक में इस बिंदुओं पर होगी चर्चा
बैठक में प्रमुख चर्चा के कुछ विषय तय किए गए हैं। इसमें UN शांति मिशनों के लिए क्षमता निर्माण और संसाधनों का प्रबंधन, तकनीक के उपयोग से मिशनों की प्रभावशीलता बढ़ाना आदि। इसके अलावा बैठक में भारत अपनी स्वदेशी तकनीक और ‘आत्मनिर्भर’ पहल भी दिखाएगा। विदेशी प्रतिनिधि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देंगे।
क्या है बैठक का उद्देश्य?
दिल्ली में बैठक का उद्देश्य शांति मिशन के लिए काम करना है। इसमें शांति मिशनों की वास्तविक परिस्थितियों को समझना, देशों के बीच बेहतर सहयोग और समन्वय बढ़ाना, शांति सैनिकों की सुरक्षा और सुरक्षा उपाय मजबूत करना और नई तकनीकों का उपयोग कर मिशनों की तत्परता और प्रभावशीलता बढ़ाना जैसे उद्देश्य शामिल हैं।
भारत का संदेश
भारत का मानना है कि शांति स्थापना सिर्फ सैन्य जिम्मेदारी नहीं, बल्कि वैश्विक शांति और मानवता के लिए साझा कर्तव्य है। यह बैठक बहुपक्षीय सहयोग और संयुक्त राष्ट्र के मूल्यों को मजबूत करने का एक प्रयास है। लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर ने कहा कि यह सम्मेलन केवल सेना प्रमुखों की बैठक नहीं है, बल्कि शांति, सहयोग और वैश्विक जिम्मेदारी के प्रति साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
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