---विज्ञापन---

देश

आजादी का अमृत महोत्सव: श्वेत क्रांति के जनक वर्गीज कुरियन, जिन्होंने कामधेनु की तरह भारत को दूध से नहला दिया

नई दिल्ली: भारत में “श्वेत क्रांति के जनक”, डॉ वर्गीज कुरियन एक सामाजिक उद्यमी थे, जिनके ‘बिलियन लीटर आईडिया’ ऑपरेशन फ्लड ने डेयरी फार्मिंग को देश के सबसे बड़े आत्मनिर्भर उद्योग में बदल दिया। वर्तमान में दुग्ध उद्योग कृषि के बाद सबसे बड़ा ग्रामीण रोजगार क्षेत्र है, जो सभी ग्रामीण आय का एक तिहाई योगदान […]

Author Published By : Nirmal Pareek Updated: Mar 16, 2024 20:11

नई दिल्ली: भारत में “श्वेत क्रांति के जनक”, डॉ वर्गीज कुरियन एक सामाजिक उद्यमी थे, जिनके ‘बिलियन लीटर आईडिया’ ऑपरेशन फ्लड ने डेयरी फार्मिंग को देश के सबसे बड़े आत्मनिर्भर उद्योग में बदल दिया। वर्तमान में दुग्ध उद्योग कृषि के बाद सबसे बड़ा ग्रामीण रोजगार क्षेत्र है, जो सभी ग्रामीण आय का एक तिहाई योगदान देता है। इसने प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध दूध की मात्रा को दोगुना कर दिया, 30 वर्षों में दुग्ध उत्पादन को चौगुना कर दिया और भारत को दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक बना दिया। डॉ वर्गीज कुरियन के जन्मदिन को 2014 में हमारे देश में ‘राष्ट्रीय दुग्ध दिवस’ के रूप में मान्यता दी गई है।

इसमें कोई शक नहीं कि वर्गीज कुरियन की अमूल कंपनी आज सैकड़ों लोगों तक दुग्ध उत्पाद पहुंचाने का बेहतरीन काम कर रही है। हमारे देश ने दुनिया भर में दुग्ध उत्पादन में उल्लेखनीय प्रगति की है और इसके लिए डॉ वर्गीज पूरा श्रेय जाता है। डॉ. कुरियन ने एक नई तकनीक का आविष्कार किया और 1955 में भैंस के दूध के पाउडर का उत्पादन किया। यह वह था जिसने इतिहास में पहली बार गाय के पाउडर के बजाय भैंस का पाउडर बनाया था।

---विज्ञापन---

डेयरी इंजीनियरिंग में पढ़ाई की

वर्गीज कुरियन ने चेन्नई के लोयला कॉलेज से 1940 में विज्ञान में स्नातक किया और चेन्नई के ही जी. सी. इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। जमशेदपुर स्थित टिस्को में कुछ समय काम करने के बाद कुरियन को डेयरी इंजीनियरिंग में अध्ययन करने के लिए भारत सरकार की ओर से छात्रवृत्ति दी गई।

---विज्ञापन---

वर्गीज कुरियन दूध उत्पादन में इस तरह हुए शामिल

वर्गीज कुरियन ने भारत में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए 1949 में कैरा डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन लिमिटेड (KDCMPUL) नामक डेयरी का काम संभाला। जब वर्गीज कुरियन ने इस संस्था का कार्यभार संभाला तो दूध उत्पादन में क्रांति आ गई। इसके बाद, KDCMPUL सहकारी समितियों का गठन किया गया। दुग्ध उत्पादन में वृद्धि को देखते हुए दूध के भंडारण के लिए संयंत्र स्थापित करने का विकल्प चुना गया।

इस तरह अमूल को नाम के रूप में चुना गया

कुरियन ने केडीसीएमपीयूएल का नाम बदलने पर विचार किया जिसे विश्व स्तर पर मान्यता दी जाएगी। इसे पूरा करने के लिए, उन्होंने अपने प्लांट के सभी कर्मचारियों के सुझाव पर KDCMPUL का नाम बदलकर अमूल कर दिया, जिसका अर्थ है “अनमोल”। देश में 16 मिलियन से अधिक दुग्ध उत्पादक अब अमूल प्लांट जैसे बड़े दूध उत्पादकों से संबद्ध हैं। ये दूध उत्पादक अमूल तक अपना दूध पहुंचाने के लिए भारत में लगभग 1,85,903 डेयरी सहकारी समितियों के साथ काम करते हैं। यही कारण है कि अमूल के प्रोडक्ट अब देश में सबसे अधिक उपयोग किए जाते हैं।

मिल्कमैन खुद दूध नहीं पीते

मिल्कमैन ऑफ इंडिया बने कुरियन के निजी जीवन से जुड़ी एक रोचक और दिलचस्प बात यह है कि देश में ‘श्वेत क्रांति’ लाने वाला और ‘मिल्कमैन ऑफ इंडिया’ के नाम से मशहूर यह शख्स खुद दूध नहीं पीते हैं। वह कहते थे, मैं दूध नहीं पीता क्योंकि मुझे यह अच्छा नहीं लगता।

डॉ वर्गीज कुरियन को मिले हैं ये सम्मान

भारत सरकार ने अमूल के संस्थापक डॉ वर्गीज कुरियन को पद्म विभूषण, पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित किया। उन्हें सामुदायिक नेतृत्व के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, कार्नेगी वाटलर विश्व शांति पुरस्कार और अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय व्यक्ति का वर्ष का खिताब भी मिला। श्वेत क्रांति के जनक डॉ वर्गीज कुरियन का 9 सितंबर 2012 को निधन हो गया, लेकिन उनको भारत और यहां के लोग सदियों तक याद रखेंगे।

First published on: Aug 06, 2022 08:57 PM

संबंधित खबरें

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.