Ajmer Dargah Dispute Case: देशभर में मस्जिदों और दरगाहों को लेकर किए जा रहे दावों के बीच अब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने की मांग की है। इससे पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने भी शीर्ष न्यायालय से दखल देने की गुहार लगाई थी। बोर्ड की ओर से एक बयान जारी किया गया है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से गुहार लगाई गई है कि ऐसे दावों पर निचली अदालतों में जो सुनवाई हो रही है। उसको लेकर न्यायालय स्वत: संज्ञान लें और इन पर रोक लगाई जाए। बोर्ड ने कहा कि संसद ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को पास किया है। इस कानून को लागू करना केंद्र सरकार और सभी राज्यों की जिम्मेदारी है। ऐसा नहीं हुआ तो देश में स्थिति बिगड़ सकती है।
संभल मामले का जिक्र
अगर कुछ भी हुआ तो इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारें जिम्मेदार होंगी। सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामलों में दखल दे और कानून की रक्षा करे। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने मुख्य न्यायाधीश (CJI) से हस्तक्षेप की मांग करते हुए ऐसे दावों पर चिंता जाहिर की है। बोर्ड ने कहा कि संभल में जामा मस्जिद का मुद्दा अभी सुलझा नहीं है। इसके बाद अजमेर दरगाह को लेकर शिव मंदिर होने का दावा किया गया है। विश्व प्रसिद्ध दरगाह को लेकर संबंधित पक्षों को कोर्ट नोटिस जारी कर चुकी है।
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याचिकाकर्ता ने दरगाह समिति, केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पार्टी बनाया है। डॉ. एसक्यूआर एआईएमपीएलबी के राष्ट्रीय प्रवक्ता इलियास के अनुसार ऐसे दावे कानून का मजाक बनाते हैं। देश में पूजा स्थल अधिनियम 1991 लागू है। जिसके अनुसार 15 अगस्त 1947 से पहले के किसी भी पूजा स्थल की स्थिति में न तो परिवर्तन किया जा सकता है, न ही उसको चुनौती दी जा सकती है। यह सब बाबरी मस्जिद और दूसरे धार्मिक स्थलों को निशाना नहीं बनाने के लिए लागू किया गया था।
All India Muslim Personal Law Board demanded intervention from the Supreme Court on the ongoing litigation over claims on mosques and dargahs in different parts of the country. AIMPLB urged CJI to take Suo-Motu cognizance to prevent lower courts from hearing such claims pic.twitter.com/D78hoMQLui
— IANS (@ians_india) November 28, 2024
दावे स्वीकार न किए जाएं
लेकिन अब मथुरा में शाही ईदगाह, वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद, लखनऊ में टीले वाली मस्जिद, मध्य प्रदेश में भोजशाला मस्जिद और संभल की जामा मस्जिद पर दावे सामने आए हैं। अजमेर दरगाह को लेकर कहा गया है कि यहां शिव मंदिर था। जिसमें रोजाना पूजा होती थी।
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डॉ. इलियास के अनुसार बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट साफ कर चुका है कि नया कानून लागू होने के बाद अब कोई दावा नहीं किया जा सकता। लेकिन निचली अदालतों में दावे स्वीकार किए जा रहे हैं। लगातार नरम रुख अपनाते हुए दावों को मंजूर किया जा रहा है। ऐसे में अदालतों को निर्देश जारी किए जाएं कि वे इस तरह के दावे न स्वीकार करें। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मांग की कि ऐसे दावों की वजह से स्थिति न बिगड़े, शीर्ष कोर्ट इस पर ध्यान दे।