अडाणी एनर्जी सॉल्यूशंस लिमिटेड (AESL) ने बुधवार को बताया कि उसके सभी ऑपरेशनल साइट्स और कॉर्पोरेट मुख्यालय को ग्लोबल टोटल क्वालिटी एश्योरेंस प्रोवाइडर द्वारा ‘जीरो-वेस्ट-टू-लैंडफिल’ (ZWL) प्रमाणित किया गया है. कंपनी ने 100 प्रतिशत डायवर्जन दर और 0 प्रतिशत लैंडफिल अपशिष्ट हासिल किया है.
कंपनी ने कहा कि लैंडफिल में शून्य अपशिष्ट का अर्थ है, मुख्य रूप से कचड़े का 90 प्रतिशत निस्तारण, उनका पुनः उपयोग, रिसायकल और रिकवरी के माध्यम से लैंडफिल से अपशिष्ट को हटाना. अडाणी एनर्जी सॉल्यूशंस ने कहा कि यह एक अपशिष्ट प्रबंधन नीति (वेस्ट मैनेजमेंट पॉलिसी) है, जो संसाधनों को यथासंभव लंबे समय तक उपयोग में रखकर उनके संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करती है, जिससे नई चीजों की खरीद की जरूरत कम हो जाती है और पर्यावरण पर प्रभाव कम हो जाता है.
99.99 प्रतिशत कचरे को डायवर्ट करने वाली पहली ट्रांसमिशन कंपनी
यह उपलब्धि एईएसएल (AESL) की पर्यावरण, सामाजिक और शासन यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो वित्त वर्ष 21 में “ईएसजी बेंचमार्किंग में वैश्विक स्तर पर शीर्ष 10 इलेक्ट्रिक यूटिलिटी कंपनियों” में स्थान बनाने के लिए शुरू की गई थी. पिछले तीन सालों में कंपनी ने 99.87 प्रतिशत, 99.88 प्रतिशत और 99.99 प्रतिशत के साथ कचरे को डायवर्ट किया और ऐसा करने वाली भारत की पहली ट्रांसमिशन कंपनी बन गई.
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इस साल भी एईएसएल 100 प्रतिशत के आंकड़े तक पहुंचने वाली एकमात्र ट्रांसमिशन कंपनी है. एईएसएल के परिचालन स्थल 16 राज्यों में 54 स्थानों पर फैले हुए हैं. इनमें से कई स्थान दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में हैं, जिससे ZWL का दर्जा पाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है. यह उपलब्धि कंपनी की मजबूत ईएसजी प्रतिबद्धता का प्रमाण है. AESL देश की सबसे बड़ी निजी ट्रांसमिशन कंपनी है, जो भारत के 16 राज्यों में है.










