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जब आतंकियों ने आर्मी क्वार्टर पर बोला हमला, बच्चों और महिलाओं को भी नहीं छोड़ा, 23 साल पहले ली थी 30 की जान

2002 में जम्मू-कश्मीर के कालूचक में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने सेना के आवासीय क्षेत्र पर हमला कर 30 लोगों की जान ले ली थी। इस हमले ने भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में दरार डाल दी थी। दोनों देश तब भी युद्ध के मुहाने पर आ खड़े हुए थे।

Author Edited By : Avinash Tiwari Updated: May 14, 2025 16:14

पहलगाम आतंकी हमला हुआ, 26 लोगों की जान चली गई। इसके बाद से भारत और पाकिस्तान के रिश्ते बिगड़ गए। दोनों देश युद्ध के मुहाने पर आकर खड़े हो गए थे। हालांकि बाद में स्थिति नियंत्रण में आ गई, लेकिन भारत की तरफ से साफ कर दिया गया कि अब किसी भी आतंकी हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हालांकि ये भारत पर पहला हमला नहीं था,कई बार आतंकियों ने देश को जख्म देने की कोशिश की है। इसी तरह 14 मई 2002 को कश्मीर में एक भयानक आतंकी हमला हुआ था, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। आइये जानते हैं कि कैसे आतंकियों ने आज से 23 साल पहले देश को दहलाने की साजिश रची थी और युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए थे।

कालूचक आतंकी हमला (2002)

साल 2002 में तीन आत्मघाती हमलावरों ने जम्मू-कश्मीर के कालूचक में आर्मी क्वार्टर्स पर हमला किया था। कालूचक श्रीनगर से 300 किलोमीटर दूर स्थित है, जहां सेना के जवान अपने परिवारों के साथ रहते हैं। आतंकियों ने इन्हीं को निशाना बनाया था। इस हमले में सैन्य बलों और उनके परिवारों के कम से कम 30 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 48 लोग घायल हो गए थे।

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सेना की वर्दी पहनकर किया हमला

लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों ने सेना की वर्दी पहनकर बॉर्डर पार किया और विजयपुर से एक बस पकड़कर कालूचक पहुंचे। 14 मई 2002 को जैसे ही उनकी बस कालूचक पहुंची, आतंकियों ने हिमाचल टूरिज्म की बस पर हमला कर दिया। उन्होंने सबसे पहले ड्राइवर और कंडक्टर पर हमला किया, फिर यात्रियों पर फायरिंग शुरू कर दी।

इसके बाद आतंकी सैनिक क्वार्टर्स के अंदर घुस गए। उनके पास ऑटोमैटिक गन थीं, जिनसे वे लगातार गोलियां चला रहे थे। साथ ही उन्होंने ग्रेनेड भी फेंके। इस हमले से पूरे देश में हड़कंप मच गया था। हालांकि, बाद में सेना ने अभियान चलाकर तीनों आतंकियों को मार गिराया।

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आतंकियों की पहचान

भारतीय जांच एजेंसी (NIA) ने मारे गए आतंकियों की पहचान अबु सुहैल (फैसलाबाद), अबु मुरशीद (गुर्जांवाला) और अबु जावेद (गुर्जांवाला) के रूप में की थी, ये सभी पाकिस्तानी नागरिक थे। आतंकियों के पास से बिस्किट और चॉकलेट भी बरामद हुए थे, जो जांच में पाकिस्तान के जफरवाल से खरीदे गए पाए गए।

इसके बाद संसद पर हमला

कुछ ही दिनों बाद भारतीय संसद पर भी हमला हुआ। इन घटनाओं के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ गया। तत्‍कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ‘ऑपरेशन पराक्रम’ का ऐलान किया, जिसके चलते करीब 11 महीने तक बॉर्डर पर सैन्य तनातनी बनी रही। इस दौरान युद्ध जैसे हालात बन गए थे। पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद को गिरफ्तार किया, हालांकि बाद में उसे रिहा कर दिया गया।

First published on: May 14, 2025 03:55 PM

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