हेल्थ टेक्नोलॉजी से जुड़ी दो कंपनियां वीजीनोमिक्स और मेरिल जीनोमिक्स ने भारत में बेहतर और सटीक इलाज को बढ़ावा देने के लिए साझेदारी की है। इन दोनों कंपनियों ने भारत भर में अस्पतालों और रिसर्च सेंटरों को बेहतर जीनोमिक जांच सेवाएं देने के लिए मिलकर काम करने का ऐलान किया है। इन दोनों कंपनियों का यह सहयोग जीनोमिक्स, बायोइन्फॉर्मेटिक्स और एआई-संचालित अनुसंधान में वीजीनोमिक्स की विशेषज्ञता और मेरिल जीनोमिक्स की जांच तकनीकों को जोड़ने का काम करेगा। इस सहयोग से देश के अलग-अलग हिस्सों में अस्पतालों और रिसर्च सेंटरों को आधुनिक जीन जांच तकनीकें मिलेंगी।
यह साझेदारी प्रिसिजन मेडिसिन की पहुंच को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी, जो भारत में जीनोमिक स्वास्थ्य सेवा में एक मील का पत्थर साबित होगी। इस साझेदारी के तहत पहलों में नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्टिंग (NIPT) शामिल है, जो डाउन सिंड्रोम जैसी गुणसूत्र संबंधी असामान्यताओं के बढ़ते जोखिम को संबोधित करता है, विशेष रूप से ज्यादा उम्र वाली गर्भवती मांओं में प्रारंभिक पहचान की सुविधा प्रदान करेगा, जिससे पूरे भारत में सुरक्षित गर्भधारण और स्वस्थ नवजात परिणामों में योगदान मिलेगा।
लाभकारी मकसद
इस साझेदारी का मकसद है कि गर्भवती महिलाओं, टीबी से जूझ रहे मरीजों और दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित लोगों तक समय पर और सटीक जांच की सुविधा पहुंचे। इससे इलाज जल्दी शुरू हो सकेगा और नतीजे भी बेहतर मिलेंगे।
क्या है प्रिसिजन मेडिसिन?
प्रिसिजन मेडिसिन यानी ऐसा इलाज जो व्यक्ति के जीन (DNA), लाइफस्टाइल और पर्यावरण को ध्यान में रखकर तय किया जाए। इसमें AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) और जीनोमिक्स का जबरदस्त योगदान है। यह परंपरागत इलाज से अलग है, जो अक्सर सभी मरीजों के लिए एक जैसा होता है।
भारत में क्यों ज़रूरी है प्रिसिजन मेडिसिन?
भारत में जेनेटिक बीमारियों, कैंसर, डायबिटीज, हृदय रोग, और दुर्लभ बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में एक ऐसा इलाज मॉडल जो हर मरीज को उसकी अनुवांशिक बनावट के हिसाब से इलाज दे सके, बेहद कारगर हो सकता है। प्रिसिजन मेडिसिन हर मरीज के जीन (DNA) को समझकर इलाज तय करता है, जिससे बीमारी को जड़ से पहचाना और रोका जा सकता है।
किन्हें होगा फायदा?
1. गर्भवती महिलाएं
एक खास तरह की जांच एनआईपीटी (Non-Invasive Prenatal Testing) से गर्भ में पल रहे बच्चे में होने वाली किसी भी तरह की जेनेटिक गड़बड़ी (जैसे डाउन सिंड्रोम) का पहले ही पता चल जाएगा। खासकर उन महिलाओं के लिए फायदेमंद जिनकी उम्र ज्यादा है।
2. टीबी के मरीज
एक नई तकनीक टीएनजीएस (Targeted Next Generation Sequencing) से टीबी की बीमारी का जल्दी और सही-सही पता चलेगा। भारत में टीबी के सबसे ज्यादा मरीज हैं, ऐसे में यह एक बड़ा कदम है।
3. दुर्लभ बीमारियों के मरीज
डब्ल्यूईएस (Whole Exome Sequencing) नाम की तकनीक से उन बीमारियों की भी पहचान हो सकेगी जो आज तक डॉक्टरों को समझ नहीं आती थीं। यह तकनीक लाखों लोगों के लिए फायदेमंद होगी जो लंबे समय से इलाज के इंतजार में हैं।
कंपनियों की सोच और लक्ष्य क्या?
वीजीनोमिक्स की सीईओ डॉ. राहिला सरदार ने कहा, हम ऐसा भारत बनाना चाहते हैं, जहां हर व्यक्ति को जीन की जांच और उसके अनुसार सही इलाज की सुविधा बिना किसी परेशानी के मिले। मेरिल जीनोमिक्स के साथ हमारी साझेदारी इस दिशा में एक बड़ा कदम है। हम मिलकर लोगों के इलाज को और बेहतर और तेज बनाएंगे।
मेरिल ग्रुप के सीईओ ने कहा, हमारी ताकत जीन की जांच और आधुनिक डायग्नोस्टिक तकनीक में है। वीजीनोमिक्स के साथ मिलकर हम पूरे देश में सटीक जांच को लोगों तक पहुंचाएंगे। इससे डॉक्टरों को बीमारियों की जल्दी पहचान करने में मदद मिलेगी और मरीजों को बेहतर इलाज मिलेगा। यह साझेदारी भारत में हेल्थकेयर को एक नई दिशा देगी।”
क्या करता है वीजीनोमिक्स ?
वीजीनोमिक्स एक हेल्थ कंपनी है, जो शरीर के जीन की जांच करके बीमारी को पहचानने और उसके इलाज को और सटीक बनाने में काम करता है। इसे भारत और अमेरिका के कई एक्सपर्ट्स ने मिलकर शुरू किया है। इनका मकसद है कि हर मरीज को उसके शरीर के हिसाब से सबसे अच्छा और सही इलाज मिल सके।
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