Mental Health and Internet: इंटरनेट मॉडर्न लाइफ का एक अभिन्न अंग है। ग्लोबल पॉपुलेशन उद्देश्यों के लिए दिन-रात इंटरनेट का यूज कर रहे हैं। हालांकि, इस बात का एहसास हो भी सकता है और नहीं भी कि इंटरनेट का यूज करना अब सिर्फ हमारी हैबिट नहीं, बल्कि एक बुरी लत बन गई है। यह लत ही वह वजह है, जिसकी वजह से दुनिया भर में लोगों में मेंटल डिसऑर्डर के मामले देखते हैं, लेकिन कुछ स्टडी में यह बात सामने आई है कि इंटरनेट का इस्तेमाल नुकसान नहीं करता है।
2 मिलियन से ज्यादा लोगों के इंटरनेट इस्तेमाल करने पर एक स्टडी में पाया गया कि सोशल मीडिया ब्राउजिंग और गेमिंग जैसी ऑनलाइन एक्टिविटी से मेंटल हेल्थ को होने वाले नुकसान नहीं है और मोबाइल ऐप्स डिप्रेशन और चिंता का कारण बन सकते हैं।
ऑक्सफोर्ड इंटरनेट इंस्टीट्यूट (Oxford Internet Institute) के रिसर्चरों नें कहा कि कोई सबूत नहीं मिला है कि कुछ समूहों को टेक्नोलॉजी से ज्यादा खतरा है।
हालांकि, प्रोफेसर एंड्रयू प्रेजीबिल्स्की ने कहा कि अगर ऐप्स मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं , तो उन्हें बनाने वाली कंपनियों के पास ही यूजर का डेटा है, जो इसे साबित कर सकता है।
प्रोफेसर एंड्रयू प्रेजीबिल्स्की ने कहा कि हमारे पास मौजूद डेटा से पता चलता है कि इन फैक्टर के बीच कोई ग्लोबल रिलेशन नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर ऑनलाइन एक्टिविटी वास्तव में मेंटल की समस्याओं को जन्म देती है तो जोखिम बहुत बड़ा है।
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प्रिजीबिल्स्की और वुओरे ने 2005 और 2022 के बीच 168 देशों में 15 से 89 वर्ष की आयु के 2.4 मिलियन लोगों के साइकोलॉजिकल पर डाटा की स्टडी की, जिसके मुकाबले उस समय के दौरान इंटरनेट सब्सक्रिप्शन में बढ़ने के बारे में इंडस्ट्री के आंकड़ों के साथ की, साथ ही मेंटल हेल्थ के बीच संबंधों पर भी नजर रखी।
इंटरनेट और इसके द्वारा टेक्नोलॉजीज, जैसे कि इंटरनेट एक्सेस वाले स्मार्टफोन, ग्लोबल लेवल पर भलाई या मेंटल हेल्थ को एक्टिव रूप से बढ़ावा दे रहे हैं या नुकसान पहुंचा रहे हैं। हालांकि, युवा लोगों के बीच मेंटल हेल्थ समस्याओं और टेक्नोलॉजी के बीच बड़े संबंधों के “कुछ सबूत” थे, लेकिन ये ज्यादा कुछ नहीं बता पाए थे।
स्टडी से पता चला है कि सोशल मीडिया पर समय कम करने से मेंटल हेल्थ को फायदा हो सकता है, जबकि जो लोग सबसे ज्यादा समय तक ऑनलाइन समय बिताते हैं उन्हें नुकसान होने का खतरा अधिक होता है।
जिस डेटा पर खतरनाक दावे आधारित हैं, उसे चुनौती देकर प्रिजीबिल्स्की ने कई सालों तक खुद को टेक्नोलॉजी के सामाजिक नुकसान पर नैतिक आतंक के प्रकोप के खिलाफ एक समर्थक के रूप में काम किया है। उन्होंने 16 साल से कम उम्र के लोगों के लिए फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने या कुछ सोशल मीडिया ऐप्स तक पहुंच सीमित करने की कही है।
Disclaimer: उपरोक्त जानकारी पर अमल करने से पहले डॉक्टर या हेल्थ एक्सपर्ट की राय अवश्य ले लें। News24 की ओर से कोई जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।