Heart Valve Disease: हृदय वाल्व रोग या वाल्वुलर हृदय रोग (Heart Valve Disease or Valvular Heart Disease) एक गंभीर बीमारी है। भारत में इस समय ऐसे हजारों लोग हैं, जो वाल्वुलर हृदय रोग से पीड़ित हैं। वैसे तो यह एक गंभीर बीमारी है, लेकिन अगर समय पर इसके लक्षणों को पहचान लिया जाए, तो इसे ठीक भी किया जा सकता है।
हृदय वाल्व रोग क्या है, इसके लक्षण क्या हैं…इसके होने के कारण और इलाज कैसे किया जा सकता है? इन सभी सवालों पर पटना के वरिष्ठ कार्डियक सर्जन डॉ. संजय कुमार ने विस्तार से बताया है। डॉ. संजय कुमार फिलहाल मेदांता अस्पताल में सीटीवीएस विभाग के निदेशक हैं।
दरअसल, हमारे दिल में चार तरह के वाल्व (Valve) होते हैं, जो खून के दिल में जाने पर खुलते हैं और खून के विपरीत दिशा में जाने पर बंद हो जाते हैं, लेकिन जब ये वाल्व खराब होते हैं, तो ये संकुचित और कठोर (Compressed and Hardened) हो जाते हैं। जिसकी वजह से वाल्व ब्लड के आने-जाने पर खुल या बंद नहीं हो पाते हैं। इसी स्थिति को हृदय वाल्व रोग (Heart Valve Disease) कहते हैं। जो भी व्यक्ति इस बीमारी का शिकार होता है तो उसके हृदय के वाल्व काम करना बंद कर देते हैं।
चार वाल्व कौन-कौन से होते हैं?
ये चार वाल्व ट्राइकसपिड, पल्मोनरी, माइट्रल और एओर्टिक कहलाते हैं, जिनमें टिश्यू फ्लैप होते हैं, जो प्रत्येक दिल की धड़कन के साथ खुलते और बंद होते हैं। फ्लैप यह सुनिश्चित करते हैं कि हृदय के चार कक्षों और पूरे शरीर में खून सही दिशा में बहता रहे। उनका मुख्य कार्य कम से कम प्रतिरोध के साथ रक्त के यूनिडायरेक्शनल प्रवाह को बनाए रखना है।
वरिष्ठ कार्डियक सर्जन डॉ. संजय कुमार बताते हैं कि जब हमारे दिल के वाल्व प्रभावित होते हैं तो हार्ट फेल, धड़कन बढ़ जाना, दिल के अंदर खून का थक्का बनना और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में इंसान की मौत तक हो सकती है।
दिल के वाल्व को प्रभावित करने वाले सामान्य रोग
1. दिल के वाल्व को मुख्य रूप से ‘रूमेटिक हार्ट वाल्व डिजीज’ और ‘डीजेनरेटीव हार्ट वाल्व डिजीज’ प्रभावित करते हैं। सबसे पहले बात रूमेटिक हार्ट वाल्व डिजीज’ की करें, तो यह प्रकृति में ऑटोइम्यून है। इससे ग्रसित लोगों का इम्युन सिस्टम हृदय वाल्व के खिलाफ काम करता है, ये आम तौर पर युवाओं को प्रभावित करता है।
2. डीजेनरेटीव हार्ट वाल्व डिजीज बढ़ती उम्र के लोगों को होती है, क्योंकि जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, कुछ लोगों में एओर्टिक वाल्व कैल्सीफिकेशन हो जाता है और स्टेनोज हो जाता है। वहीं कुछ लोग इसका जन्मजात शिकार भी होते हैं, कुछ लोगों के बचपन से ही एओर्टिक वाल्व में सामान्य तीन फ्लैप के बजाय केवल दो फ्लैप होते हैं। 40 से ज्यादा उम्र वाले लोगों को अपक्षयी हृदय वाल्व रोग होने का खतरा ज्यादा होता है।
हृदय वाल्व रोग के लक्षण
अगर आपको अपने शरीर में नीचे दिए गए लक्षण दिखे तो सावधान हो जाएं, क्योंकि यह हृदय वाल्व रोग का संकेत हो सकता है। इसके लिए तुरंत एक्सपर्ट्स से परामर्श लें।
- दिल की धड़कन तेज होना
- सीने में दर्द
- थकान
- पैर में सूजन
- चक्कर आना
- सांस लेने में तकलीफ
- पैर में सूजन
हृदय वाल्व रोग का इलाज
हृदय वाल्व रोग का इलाज संभव है। विशेष तकनीक की मदद से वाल्व की सर्जिकल मरम्मत की जा सकती है। इतना ही नहीं अगर कोई वाल्व खराब हो जाए तो उसे बदला भी जा सकता है। ओपन हार्ट सर्जरी इसका बढ़िया विकल्प है। इसके माध्यम से वाल्व को बदलकर पीड़ित व्यक्ति को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है।
भारत में ट्रांसकेथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट एक बढ़िया विकल्प है
अगर बात भारत की करें तो हृदय वाल्व रोग के इलाज के लिए ट्रांसकेथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर/टीएवीआई) जैसी एक नई तकनीक उपलब्ध हो चुकी हैं। इसकी मदद से वाल्व को निकालकर दिल में नया वाल्व डाला जा सकता है। इस सर्जरी की सलाह उन्हीं लोगों को दी जाती है, जो बहुत बूढ़े हैं।
Surgical replacement – एओर्टिक वाल्व स्टेनोसिस या regurgitation के इलाज के लिए सर्जीकल रिप्लेसमेंट के जरिए इलाज किया जा सकता है। सर्जीकल रिप्लेसमेंट के लिए दो प्रकार के हृदय वाल्व उपलब्ध हैं, मैकेनिकल वाल्व और टिश्यू वाल्व।
इन लोगों में लगाया जाता है मैकेनिकल वाल्व
आम तौर पर, 65 वर्ष से कम आयु के रोगियों के लिए मैकेनिकल वाल्व का यूज किया जाता। आप हृदय के वाल्व को मैकेनिकल वाल्व से बदल दिया जाता है, तो कुछ सावधानी बरतनी होती है। आपको एक बढ़िया डाइट लेनी होती है और रिकवरी के लिए नियमित तौर पर दवा लेनी होती है।
65 वर्ष से ज्यादा लोगों में लगाया जाता है ऊतक वाल्व
दूसरा विकल्प एक टिश्यू वाल्व है, जो 65 वर्ष से ऊपर के रोगियों को दिया जाता है। जिन लोगों में यह लगाया जाता है उन्हें किसी दवा की जरूरत नहीं होती है। यह आम तौर पर 12 से 15 सालों तक काम करता है। नए उन्नत टिश्यू वाल्व अब बहुत कम उम्र के लोगों को उनकी सक्रिय जीवन शैली को पूरा करने के लिए दिए जाने लगे हैं। क्योंकि ये पिछली पीढ़ी के टिश्यू वाल्वों की तुलना में अधिक टिकाऊ होते हैं।
Edited By