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डेंगू कितने प्रकार का होता है और क्या हैं संकेत, कैसे करें बचाव

Dengue Stage: अभी डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है और ऐसे में जानना जरूरी है कि आखिर डेंगू कब खतरनाक हो जाता है, जिसके बाद मरीज को खास ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। आइए जान लेते हैं डेंगू कितने प्रकार का होता है और क्या हैं इनके संकेत..

Edited By : Deepti Sharma | Updated: Jul 15, 2024 22:25
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dengue risk in monsoon
Image Credit: Freepik

Dengue Stage: मानसून के मौसम में बारिश होने के चलते जगह-जगह पानी भरने से डेंगू फैलने का खतरा बढ़ जाता है। बरसात के मौसम में डेंगू के मरीजों की संख्या भी बढ़ जाती है। कभी-कभी ये बीमारी जानलेवा भी साबित हो जाती है। ऐसी स्थिति में आपके लिए ये जानना जरूरी हो जाता है कि जब डेंगू कितने प्रकार का होता है और इनमे से सबसे खतरनाक डेंगू कौनसा होता है? तो हम आपको बता दें कि डेंगू तीन प्रकार का होता है।

क्लासिकल डेंगू बुखार

क्लासिकल डेंगू काफी नॉर्मल होता है। इसमें मरीज को करीब एक सप्ताह तक बुखार रहता है। हालांकि समय पर इलाज करवाने के बाद मरीज जल्द ही ठीक भी हो जाता है। क्लासिकल डेंगू में मरीज को ठंड के साथ तेज बुखार होता है। इसके अलावा सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द भी होने लगता है। बहुत कमजोरी लगना, भूख न लगना और मुंह का स्वाद खराब होना भी क्लासिकल डेंगू के लक्ष्ण होते हैं।

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हमरेडिक डेंगू

हमरेडिक डेंगू भी कुछ-कुछ क्लासिकल डेंगू की तरह ही होता है। इसमें क्लासिकल डेंगू वाले लक्षण तो होते ही हैं। साथ में नाक और मसूढ़ों से खून आना, शौच या उल्टी में खून आना और स्किन पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बड़े निशान पड़ जाना जैसे लक्षण भी हमरेडिक डेंगू में दिखाई देते हैं।

डेंगू शॉक सिंड्रोम

डेंगू शॉक सिंड्रोम में हमरेडिक डेंगू के लक्षणो के साथ-साथ मरीज को बेचैनी होना, तेज बुखार के बावजूद मरीज की त्वचा का ठंडा होना, मरीज का धीरे-धीरे बेहोश होना और ब्लड प्रेशर एकदम लो हो जाना जैसे लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं।

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हमरेडिक डेंगू और शॉक सिंड्रोम डेंगू ये दोनों ज्यादा खतरनाक होते हैं। क्लासिकल डेंगू से मरीज जल्द ठीक हो जाता है और इसमें कोई जान का खतरा भी नहीं होता है। लेकिन इन दोनों डेंगू से मरीज की जान भी जा सकती है। अगर किसी को हमरेडिक डेंगू या फिर डेंगू शॉक सिंड्रोम होता है तो उसको तुरंत डॉक्टर के पास जाकर उसका इलाज करवाना चाहिए।

कितना प्लेटलेट्स काउंट है नॉर्मल

20,000 से कम प्लेटलेट वाले लोग ज्यादातर हाई रिस्क पर होते हैं। ब्लीडिंग के खतरे वाले मरीजों को प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की जरूरत होती है। प्लेटलेट काउंट 21,000 से लेकर 40,000 तक होने पर कम रिस्क में होते है। इस कंडीशन में प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की जरूरत केवल तभी होती है जब किसी को पहले से किसी तरह की ब्लड डिजीज रही हो।

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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले डॉक्टर की राय अवश्य ले लें। News24 की ओर से कोई जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।  

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Edited By

Deepti Sharma

First published on: Jul 15, 2024 07:30 PM

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