-डॉ. के.पी. द्विवेदी शास्त्री
नई दिल्ली। स्वास्थ्य (Health) एक ऐसा विषय है, जिसे लेकर सभी को चिंता रहती है। हर व्यक्ति चाहता है कि वह और उसका परिवार स्वस्थ रहे। यही नहीं सरकार भी स्वस्थ भारत का निर्माण करना चाहती है। दूसरी ओर देखा जाए तो हमारे समाज में स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भी बहुत लापरवाही बरती जाती है।
इंसान के स्वास्थ्य का सीधा संबंध उसके खानपान से है। दूषित खाद्य सामग्री और अनियमित खानपान ही बीमारी का बड़ा कारण होता है। हम लोग स्वास्थ्य को लेकर ही लापरवाह नहीं है हम उपचार को लेकर भी लापरवाह हैं। दिल्ली में इस समय इलाज के लिए बड़ी से बड़ी सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं उपलब्ध हैं।
दिल्ली में हजारों झोलाछाप डॉक्टर
ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टीट्यूट, जेबी पंत अस्पताल, गंगा राम एस्कोर्ट जैसे हॉस्पिटल हैं, जिनमें अमीर और गरीब सभी अपना इलाज करा सकते हैं। इसके अतिरिक्त प्राइवेट एमबीबीएस डॉक्टर अलग-अलग बीमारियों के स्पेशलिस्ट भी हैं फिर भी हम अपनी जरा सी लापरवाही और पैसा बचाने के चक्कर में झोलाछाप डॉक्टरों के चक्कर में पड़कर अपना और अपनों के जीवन को मुश्किल में डाल देते हैं। झोलाछाप डॉक्टरों के विरूद्ध अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता कल्याण समिति दिल्ली द्वारा चलाये गए जनजागरण अभियान से ज्ञात जानकारी के अनुसार इस समय दिल्ली में हजारों की संख्या में झोलाछाप डॉक्टर हैं, जो उपभोक्ताओं के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं।
प्रशासन को सब पता है
इसके अतिरिक्त ऐसे डॉक्टर भी हैं, जिन्होंने डिग्री तो आयुर्वेदिक या युनानी की ली है और दवाईयां एलोपैथिक ही दे रहे हैं। इस प्रकार के डॉक्टर अधिकतर आपको दिल्ली के स्लम इलाकों और दिल्ली के गांव और अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में मिल जाएंगे। ऐसा नहीं है कि यह बात हमें पता है प्रशासन को नहीं पता। दिल्ली में मेडिकल काउंसिल (DMC ) के पास हजारों की संख्या में झोलाछाप डॉक्टरों की शिकायतें आई हुई हैं, जिन पर कार्यवाही के नाम पर डीएमसी पुलिस के पाले में बात को डाल देती है और पुलिस के पास अपने कारणों की लम्बी लिस्ट है।
अवैध रूप से चलाए जा रहे क्लिनिकों, झोलाछाप डॉक्टरों (DMC ) पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों के बीच दाल में कुछ काला भी है और वही इस अवैध स्वास्थ्य व्यवस्था या मौत के सौदागरों के काम चलते रहने का असल कारण है और इस भ्रष्ट प्रशासनिक व्यवस्था में दाल में काला होने का अर्थ आप जानते ही हैं, परंतु यदि हम थोड़े भी जागरूक हो तो हम इस सबको रोक सकते हैं।
जागो उपभोक्ता जागो, जागरूक बनो
आलस और थोड़े पैसे के लालच की कीमत हमें अपने परिवार के किसी सदस्य की जान से चुकानी पड़ती है। पैसा तब भी खर्च होता, जब ये झोलाछाप डॉक्टर केस को बिगाड़ देते हैं। यहां तक कि घर के बर्तन बिकने की नौबत आ जाती है। अस्पतालों के चक्कर बाद में भी लगाने पड़ते हैं। दुख की बात ये है हम अपने आलस और थोड़े पैसे के लालच में अपने मासूम बच्चों की जान भी जोखिम में डाल देते हैं और एक अवैध रूप से चलने वाले कारोबार को सींचने का कारण बनते हैं। आपसे कमाई हुई दौलत से झोलाछाप डॉक्टर भ्रष्ट और प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारी मजे करते हैं और आपको मिलता है अपनी दौलत और अपनों को खोने का दुख। आपकी थोड़ी भी सतर्कता इस मौत के कारोबार को रोक सकती है। जागो उपभोक्ता जागो, जागरूक बनो।
(लेखक अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता कल्याण समिति दिल्ली राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।)