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Religion

Raksha Bandhan 2025: क्यों मनाया जाता है रक्षा बंधन? भविष्य, स्कंद और महाभारत पुराण के प्रसंगों से जानें

Raksha Bandhan Pauranik Katha: रक्षा बंधन एक ऐसा पवित्र त्योहार है जो भाई-बहन के बीच के अटूट प्रेम, विश्वास और समझ को दर्शाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनसे अपनी रक्षा का वचन लेती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रक्षा बंधन की शुरुआत कब और कैसे हुई? आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी और इतिहास के बारे में।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Nidhi Jain Updated: Jul 16, 2025 14:49
Raksha Bandhan 2025
सांकेतिक फोटो, Credit- News24 Graphics

Raksha Bandhan Pauranik Katha: हर साल बहुत ही धूमधाम से सावन मास की पूर्णिमा को रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है, जो भाई-बहन के बीच के अटूट प्रेम और विश्वास को दर्शाता है। साल 2025 में 09 अगस्त को रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाइयों पर राखी बांधती हैं, जिसके बदले में भाई बहनों की रक्षा का वचन देते हैं। हालांकि रक्षा बंधन के इतिहास से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनका अपना महत्व है।

भविष्य पुराण

भविष्य पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार, एक बार देव और दानवों के बीच युद्ध छिड़ गया था। दानव देवताओं पर भारी पड़ रहे थे। देवताओं को हारता देख भगवान इंद्र चिंतित होकर देवगुरु बृहस्पति के पास पहुंचे। बृहस्पति देव ने इंद्र देव को मंत्र-शक्ति से पवित्र एक धागा दिया, जिसे उनकी पत्नी शची से बंधवाने को कहा।

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सावन पूर्णिमा के शुभ दिन देवी शची ने अपने पति इंद्र देव की कलाई पर धागा बांधा था, जिसके बाद वो युद्ध लड़ने के लिए गए और जीत हासिल की। कहा जाता है कि उस समय सृष्टि में पहली बार किसी पत्नी ने अपने पति को रक्षा सूत्र बांधा था।

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स्कंद पुराण

स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के मुताबिक, त्रेता युग में जब दैत्यराज बलि ने तीनों लोकों पर कब्जा कर लिया था तो सभी देवतागण परेशान होकर भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उनसे प्रार्थना की कि वो राजा बलि को हराकर उनसे तीनों लोकों का राज छीन लें। तब विष्णु जी ने वामन देव का अवतार लिया और राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी। वामन देव ने अपने दो पग में असुरराज बलि के अधिकार का सारा आकाश, पाताल और धरती नाप ली, जिसके बाद उन्होंने राजा से पूछा कि वो अपना तीसरा पग कहां रखें? तब राजा बलि ने कहा, भगवान आप तीसरा पग मेरे सिर पर रख लीजिए। ये बात सुनकर वामन देव खुश हुए और उन्हें रसातल (पृथ्वी के नीचे के 7 लोकों में से 6) का राजा बना दिया। लेकिन बलि ने इस वरदान के साथ ही भगवान से रात-दिन उनके साथ रहने का वचन ले लिया।

वामनावतार के बाद जब भगवान विष्णु वैकुंठ धाम नहीं पहुंचे तो धन की देवी लक्ष्मी चिंतित हो गई। देवी लक्ष्मी को चिंतित देख नारद मुनि ने उन्हें राजा बलि को अपने भाई बनाने की सलाह दी और वजन में विष्णु जी को साथ चलने के लिए कहने को कहा। देवी लक्ष्मी ने नारद दी की बात मानी और राजा बलि को रक्षासूत्र बांधकर अपना भाई बना लिया, जिसके बाद भगवान विष्णु वैकुंठ धाम आ गए।

महाभारत पुराण

महाभारत पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से राजा शिशुपाल का वध किया था, जिस कारण उनकी उंगली से खून बहने लगा था। कृष्ण जी की उंगली से खून बहता देख द्रौपदी चिंतित हुई और अपनी साड़ी का एक टुकड़ा कृष्ण जी की उंगली पर बांध दिया, जिसके बदले में कृष्ण जी ने भाई बनकर द्रौपदी को हर संकट से बचाने का वचन दिया। कहा जाता है कि इसी के बाद से बहनें अपने भाई की कलाई पर कच्चासूत्र बांधने लगीं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Jul 16, 2025 02:49 PM

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