Extra Fee on Cash on Delivery: ई-कॉमर्स कंपनियों की चालाकियों पर अब सरकार ने नकेल कसने की तैयारी कर ली है. उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि जो भी प्लेटफॉर्म कैश-ऑन-डिलीवरी (COD) पर अतिरिक्त शुल्क वसूलते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
क्यों बढ़ा विवाद
कई ई-कॉमर्स कंपनियां ऑनलाइन पेमेंट की बजाय COD चुनने पर ग्राहकों से अलग-अलग नामों से एक्स्ट्रा फीस वसूल रही हैं. हाल ही में एक यूजर ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर बताया कि उसे ऑफर हैंडलिंग फी, पेमेंट हैंडलिंग फी और प्रोटेक्ट प्रॉमिस फी के नाम पर 226 रुपये एक्स्ट्रा चार्ज किया गया.
यूजर ने सोशल मीडिया का पर लिखा ‘जैसे Zomato/Swiggy/Zepto बारिश का शुल्क लेते हैं, वैसे ही Flipkart ने नए-नए चार्ज निकाल लिए हैं. ऑफर हैंडलिंग फी (कंपनी ने खुद दिया ऑफर), पेमेंट हैंडलिंग फी (भुगतान करने पर भी शुल्क), और प्रोटेक्ट प्रॉमिस फी (किससे सुरक्षा). अगली बार शायद स्क्रॉलिंग ऐप फी भी आ जाएगा.’
The Department of Consumer Affairs has received complaints against e-commerce platforms charging extra for Cash-on-Delivery, a practice classified as a dark pattern that misleads and exploits consumers.
A detailed investigation has been initiated and steps are being taken to… https://t.co/gEf5WClXJX---विज्ञापन---— Pralhad Joshi (@JoshiPralhad) October 3, 2025
सरकार का जवाब
इस पोस्ट पर खुद मंत्री प्रह्लाद जोशी ने प्रतिक्रिया दी और कहा कि ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया जा रहा है. डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स ने शिकायतें दर्ज की हैं और इन कंपनियों की जांच शुरू कर दी गई है. जो भी प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं को गुमराह करेंगे, उन पर कड़ी कार्रवाई होगी.
क्या होते हैं डार्क पैटर्न्स?
डार्क पैटर्न्स वे तरीके होते हैं जिनसे कंपनियां ग्राहकों को बिना बताए पैसे या डेटा निकलवाने की चालाकी करती हैं.
- जैसे दिखाना कि कोई प्रोडक्ट स्टॉक में केवल 1-2 बचा है, जबकि असल में बहुत सारे उपलब्ध हों.
- या फिर ऑफर सिर्फ 10 मिनट में खत्म होगा जैसी नकली डेडलाइन बनाना.
- कई बार लंबी लिस्ट में छिपाकर छुपे हुए चार्ज लगाना भी इसी का हिस्सा है.
सरकार की पहले से चेतावनी
केंद्र सरकार ने पहले भी ई-कॉमर्स कंपनियों को चेतावनी दी थी और मीटिंग बुलाकर कहा था कि वे ऐसे भ्रामक तरीकों से बचें. अब मंत्रालय इस पर कड़ा कानून लाने की दिशा में भी काम कर रहा है ताकि उपभोक्ताओं के अधिकार सुरक्षित रह सकें.