BharatGPT: AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की जब भी बात होती है तो सबसे पहले ChatGPT का नाम लिया जाता है। OpenAI के इस चैटबॉट ने एआई को एक नई पहचान दी है। खास बात यह है कि ये चैटबॉट काफी हद तक इंसानों की तरह आपके साथ बात कर सकता है और आपके सभी सवालों का जवाब दे सकता है। वहीं हाल ही में गूगल और माइक्रोसॉफ्ट ने भी आपने AI चैटबॉट पेश किए हैं लेकिन अब भारत में मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड भी तहलका मचाने को पूरी तरह तैयार है। कंपनी भारत के टॉप इंजीनियरिंग स्कूलों के साथ मिलकर अगले महीने यानी मार्च में अपनी पहली ChatGPT-स्टाइल सर्विस शुरू करने जा रही है। इसे कंपनी BharatGPT के नाम से पेश करेगी। बताया जा रहा है कि इस एआई मॉडल का नाम हनुमान (Hanooman) होगा।
बड़े लैंग्वेज मॉडल की दिखी पहली झलक
मंगलवार को मुंबई में एक टेक्नोलॉजी कांफ्रेंस के दौरान भारत की सबसे वैल्युएबल कंपनी और आठ एफिलिएटेड यूनिवर्सिटीज को शामिल करने वाले BharatGPT ग्रुप ने बड़े लैंग्वेज मॉडल की एक झलक पेश की है। रेप्रेसेंटेटिवेस के सामने चलाए गए एक वीडियो में, दक्षिणी भारत में एक मोटरसाइकिल मैकेनिक ने इस AI से अपने कुछ सवाल पूछे जिसका इस चैटबॉट ने बहुत ही सुंदर ढंग से जवाब दिया।
Reliance’s Hanooman: Mukesh Ambani’s BharatGPT is reportedly set to launch its first ChatGPT-style service in the next month. pic.twitter.com/XqLu8kfdXX
— Marketing Maverick (@MarketingMvrick) February 21, 2024
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सभी सवालों का दिया जवाब
वहीं इस AI टूल का यूज एक बैंकर ने भी किया। चैटबॉट ने हिंदी में शख्स के सभी सवालों के जवाब दिए। इसके अलावा हैदराबाद में एक डेवलपर इसका यूज कंप्यूटर कोड लिखने के लिए करता दिखा। कहा जा रहा है की ये AI मॉडल इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दौड़ में भारत की प्रगति का प्रतिनिधित्व करेगा। जानकारी के मुताबिक BharatGPT चार बड़े फील्ड यानी हेल्थ केयर, गवर्नेंस, फाइनेंसियल सर्विसेज और एजुकेशन में 11 स्थानीय भाषाओं पर काम करेगा।
आ रहे हैं ओपन-सोर्स एआई मॉडल
ये AI मॉडल वायरलेस कैरियर रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड और भारत सरकार द्वारा समर्थित, बॉम्बे सहित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान विश्वविद्यालयों के सहयोग से विकसित किया गया है। दूसरी तरफ लाइटस्पीड वेंचर पार्टनर्स और अरबपति विनोद खोसला के फंड जैसे स्टार्टअप भी भारत के लिए ओपन-सोर्स एआई मॉडल तैयार कर रहे हैं। जबकि ओपनएआई जैसी सिलिकॉन वैली कंपनियां बड़े एलएलएम बना रही हैं।
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