Apple iPhone Export India: भारत का मोबाइल फोन एक्सपोर्ट जनवरी 2025 में 25 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का हो गया है और ऐसा कहा जा रहा है कि ये इस वित्त वर्ष 2024-25 के एंड तक 1,80,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है, जो पिछले साल की तुलना में 40 परसेंट ज्यादा है। इस तेजी का सबसे बड़ा श्रेय एप्पल को जाता है, जिसने अपने कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर फॉक्सकॉन, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और पेगाट्रॉन के जरिए देश में एक बड़ा असेंबली बेस सेट किया है।
अप्रैल से जनवरी 2025 के बीच iPhone का एक्सपोर्ट 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि पिछले साल इसी ड्यूरेशन में यह 60 हजार करोड़ रुपये था। जनवरी में कुल मोबाइल एक्सपोर्ट का 70 परसेंट हिस्सा सिर्फ Apple के iPhone शिपमेंट से आया है।
PLI स्कीम का असर
भारत सरकार की PLI योजना ने देश में मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग को तेजी से बढ़ावा दिया है। 2020 में 38,601 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ लॉन्च की गई इस स्कीम के तहत कंपनियों को 4-6% तक का इंसेंटिव मिलता है। इस स्कीम के तहत भारत से हैंडसेट अप्रैल-नवंबर 2024 के दौरान 13.1 बिलियन डॉलर के साथ दूसरा सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट किया जाने वाला प्रोडक्ट बन गया। वित्त वर्ष 2024 में भारत में मोबाइल प्रोडक्शन 2,20,000 करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2025 में 5,10,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है।
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समझिए PLI स्कीम से किसे कितना फायदा?
सरकार ने 2023 से 2025 तक तीन सालों में लगभग 8,700 करोड़ रुपये वितरित किए हैं। इनमें से 75 परसेंट से ज्यादा राशि एप्पल के तीन कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर फॉक्सकॉन, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और पेगाट्रॉन को मिली है।
जानकारी के मुताबिक, 2023-24 में सबसे ज्यादा सब्सिडी फॉक्सकॉन को दी गई थी। जबकि 2024-25 में सैमसंग को 958 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि मिली। जबकि घरेलू कंपनियां जैसे लावा, भगवती और ऑप्टिमस PLI लक्ष्यों को पूरा करने में असफल रहीं जिसकी वजह से उन्हें किसी तरह का इंसेंटिव नहीं मिला।
Apple ने छोड़ा चीन का साथ
PLI स्कीम्स ने भारत को iPhone असेंबली के लिए एक बड़ा हब बना दिया है, क्योंकि एप्पल चीन से अपने मैन्युफैक्चरिंग ऑपरेशन्स को रिलोकेट करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, iPhones के कई पार्ट्स आज भी चीन में बन रहे हैं, लेकिन भारत धीरे-धीरे एप्पल के लिए एक मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर उभर रहा है।