Afghan Refugees in Pakistan: पाकिस्तान ने कहा है कि वह देश छोड़ने वाले अफगान शरणार्थियों से 830 डॉलर का रुपये ले रहा है। भारतीय रुपये में यह राशि 69,000 से ज्यादा है जबकि पाकिस्तानी करेंसी में यह 2 लाख 30 हजार रुपये से भी ज्यादा है। इस खबर ने दुनियाभर का ध्यान खींचा है और इसकी आलोचना की जा रही है। अब सवाल है कि आखिर क्यों पाकिस्तान अफगान रिफ्यूजी को देश छोड़ने के लिए भी कह रहा है और उल्टा उन्हें पैसे देने को भी कह रहा है। आखिर क्यों पैसे के लिए वह इस दर्जे की निचली हरकत पर उतर आया है। सिर्फ पाकिस्तान ही ऐसा कर सकता है।
पाकिस्तान ने अक्टूबर में घोषणा की कि वह बिना डॉक्यूमेंट्स वाले 17 लाख विदेशियों को देश से निर्वासित कर देगा। उन्हें एक नवंबर तक देश छोड़ने को कहा गया था। पाकिस्तान अफगान रिफ्यूजी को जबर्दस्ती बाहर निकाल रहा है। बता दें कि दशकों से चले युद्ध की वजह से बड़ी संख्या में अफगानिस्तान के लोग सीमा पार करके पाकिस्तान चले गए थे और वहां के लोगों से घुलमिल कर रहने लगे थे। इसमें से हजारों वे लोग हैं जो तालिबान के सत्ता संभालने के बाद पाकिस्तान चले गए थे।
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दुनियाभर में हो रही आलोचना
शरणार्थियों को बाहर निकालने की वजह पाकिस्तान यह बता रहा है कि पाकिस्तान में हुए कई आतंकी हमलों के लिंक अफगान समुदाय से मिले हैं। पाकिस्तान शरणार्थी सम्मेलन का सदस्य नहीं है और उसने कहा है कि वह अपनी सीमा में रहने वाले किसी भी अफगान को शरणार्थी के रूप में मान्यता नहीं देता है। कई जानीमानी हस्तियां भी अफगान शरणार्थियों को बाहर निकालने की आलोचना कर रही हैं। इन शरणार्थियों में से बहुत ज्यादा लोगों को अफगानिस्तान वापस जाना पड़ेगा। जो वापस अफगानिस्तान जाएंगे उनपर यह शुल्क नहीं लगाया गया है। पाकिस्तान ने उन अफगान शरणार्थियों पर यह फाइन लगाया है जो इंटरनेशनल प्रोग्राम के तहत विकसित देशों में जाएंगे।
देखिए अफगानिस्तान के दूतावास पर क्यों लगा ताला-
पश्चिमी देशों में जा रहे लोग
अफगान शरणार्थियों में कई ऐसे लोग हैं जिन्हें वापस अफगानिस्तान जाने पर जान के खतरे का सामना करना पड़ेगा। इसमें कई पत्रकार, स्कॉलर, लेखक और प्रोफेसर हैं। इस वजह से कई पश्चिमी देशों ने अपनी क्षमता के मुताबिक अफगान शरणार्थियों को शरण देने की बात कही है। अब ऐसे लोगों को इन पश्चिमी देशों में भेजा जा रहा है।
राजनयिक ने क्या बताया
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में एक वरिष्ठ राजनयिक ने बताया कि शुल्क विशेष रूप से चिंताजनक था जब इसे उन लोगों पर लागू किया जा रहा था जिन्हें मानवीय आधार पर स्थानांतरित किया जा रहा था। राजनयिक ने कहा कि कुछ शुरुआती संकेत मिले हैं कि सरकार नीति की समीक्षा कर सकती है।
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