Deepfake and Clearfake: डीपफेक टेक्नोलॉजी को लेकर पीएम मोदी द्वारा चिंता जताए जाने के बाद इसपर काफी चर्चा हुई। डीपफेक पर सबसे पहले बहस तब शुरू हुई जब दक्षिण भारतीय अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का एक डीपफेक वीडियो वायरल हो गया। पुलिस इस मामले की जांच में जुटी हुई है। सोशल मीडिया पर रश्मिका का डीपफेक वीडियो वायरल होने के बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जांच शुरू की थी।
इस डीपफेक वीडियो में रश्मिका मंदाना के चेहरे का इस्तेमाल करके किसी अन्य महिला का वीडियो एडिट किया गया था। यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई के जरिए किया गया था। डीपफेक के बाद अब क्लियरफेक को लेकर चिंता बढ़ गई है। रिसर्चर्स ने इसे लेकर चेतावनी दी है। आइए जानते हैं कि यह क्लियरफेक क्या है और यह डीपफेक से कैसे अलग है।
क्या है क्लियरफेक
क्लियरफेक डीपफेक की तरह ही है जिसे मशीन लर्निंग का उपयोग करके तस्वीरों या वीडियो में हेरफेर करके बनाया जाता है। इसे एडिट करके ऐसा बनाया जाता है कि वह रीयल दिखे। इसे इमेज स्प्लिसिंग, चेहरे की पहचान और वाइस सिंथेसिस जैसी कई तकनीकों का उपयोग करके किया जा सकता है।
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इसमें भी ठग लोगों को अपने जाल में फसाते हैं। इसके लिए वे AI के जरिए फेक वीडियो, फोटो, वेबसाइट आदि का इस्तेमाल करते हैं। ठग क्लियरफेक का इस्तेमाल करके लोगों के सिस्टम या लैपटॉप में गलत सॉफ्टवेयर इनस्टॉल करवा रहे हैं। इसके बाद वे लैपटॉप से उनकी पर्सनल जानकारी को चुरा ले रहे हैं।
देखिए डीपफेक को लेकर ये रिपोर्ट
चुरा लेते हैं संवेदनशील डेटा
डीएनए की एक रिपोर्ट के मुताबिक साइबर खतरा चेतावनी प्रणाली प्रदाता मालवेयरबाइट्स का दावा है कि हैकर्स क्लियरफेक तकनीक के जरिए मैक उपयोगकर्ताओं को एएमओएस से संक्रमित कर रहे हैं। वे वायरस डाउनलोड करने वाले यूजर्स से संवेदनशील डेटा और लॉगिन क्रेडेंशियल प्राप्त कर लेते हैं। इसका इस्तेमाल वे भविष्य के हमलों या तत्काल वित्तीय लाभ के लिए कर सकते हैं।
करा रहे सिस्टम में इनस्टाल
वे ज्यादातर एप्पल का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स को टारगेट बनाते हैं। उनके सिस्टम में जब गलत सॉफ्टवेयर इनस्टॉल हो जाता है तब निजी जानकारियां चुरा लेते हैं। इसमें iCloud किचेन पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड डिटेल, क्रेडिट कार्ड नंबर, क्रिप्टो वॉलेट, बिटकाइन वालेट और अन्य फाइलें शामिल हैं। ठग ClearFake के जरिए इस मैलवेयर को लोगों के सिस्टम में इनस्टाल करा रहे हैं।
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