Congress Crowdfunding Campaign : अगले साल देश में लोकसभा चुनाव होने हैं और सभी बड़े राजनीतिक दल इसकी तैयारियों में अभी से जुट गए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीते दिनों पार्टी की क्राउडफंडिंग कैंपेन ‘Donate For Desh’ की शुरुआत की थी और लोगों से बेरोजगारी व महंगाई के खिलाफ जुड़ने की अपील की थी।
लेकिन इसे लेकर एक सवाल यह उठ रहा है कि कांग्रेस के इस कदम के पीछे का कारण क्या है? क्या देश की ग्रांड ओल्ड पार्टी की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई है कि उसे पैसे जुटाने के लिए यह तरीका अपनाना पड़ रहा है या फिर इस कदम के पीछे उसकी कोई सोची-समझी योजना है?
क्या है इस पर कांग्रेस का दावा
कैंपेन की शुरुआत करते हुए खड़गे ने अपने वेतन से 1.38 लाख रुपये डोनेट किए थे। उन्होंने कहा था कि यह पहली बार है जब कांग्रेस देश का निर्माण करने के लिए आम आदमी से मदद मांग रही है। खड़गे ने कहा था कि अगर आप अमीरों पर निर्भर होकर काम करेंगे तो कल कार्यक्रमों और नीतियों में उनसे सहमत होना पड़ेगा।
खड़गे के अनुसार महात्मा गांधी ने भी देश के लोगों की मदद से ही आजादी दिलाई थी। इस कैंपेन के माध्यम से पार्टी को छोटे डोनर्स से पैसा मिलेगा। कांग्रेस अध्यक्ष के बयान ने अपने इस बयान से यह संदेश देने की कोशिश की है कि कांग्रेस की सरकार बनने पर नीतियां बनाने में आम आदमी के रुख को ध्यान में रखा जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा था कि कांग्रेस पहले से ही गरीबों, अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों और पिछड़े वर्ग के हित के लिए काम कर रही है। ये लोग बीते समय में पार्टी की मदद भी करते आए हैं। खड़गे ने कहा कि हम आम आदमी से दान लेंगे और उनकी लड़ाई में शामिल होंगे। गरीबों के लिए लड़ने वाली देश में केवल एक ही पार्टी है।
वहीं, कांग्रेस पार्टी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि एक कैंपेन के अलावा यह हाशिये पर मौजूद समुदायों के अधिकारों को लेकर प्रतिबद्धता है। बता दें कि कांग्रेस पार्टी 138 साल पूरे कर रही है और इसका जिक्र करते हुए पार्टी के कोषाध्यक्ष अजय माकन कह चुके हैं कि कोई भी 138, 1380 या 1,38,000 रुपये की डोनेशन दे सकता है।
कांग्रेस के पास है कितना पैसा?
रिपोर्ट्स के अनुसार कांग्रेस इस समय नकदी के संकट से जूझ रही है। उसके सामने भाजपा की पोल मशीनरी से निपटने की चुनौती है और उसमें भी उसे संघर्ष करना पड़ रहा है। भाजपा चुनावी बॉन्ड जुटा रही है क्योंकि यह योजना सत्ताधारी पार्टी को फायदा करने के हिसाब से बनाई गई है।
भाजपा को देश को सबसे अमीर पार्टी भी माना जाता है। वहीं, इस मामले में कांग्रेस इसके आस-पास भी नहीं दिखती। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को सबसे ज्यादा पैसा चुनावी बॉन्ड्स के जरिए ही मिला था।
चुनाव आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में भाजपा की आय 1917.12 करोड़ रुपये थी। यह सात राष्ट्रीय पार्टियों में सबसे ज्यादा राशि थी। दूसरे स्थान पर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस थी और कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही थी।
इसी अवधि में भाजपा को 1775 करोड़ रुपये डोनेशन मिली थी जिसमें से 1033 करोड़ की राशि चुनावी बॉन्ड्स के जरिए आई थी। टीएमसी को 545.75 करोड़ रुपये का चंदा मिला था। वहीं, कांग्रेस पार्टी के लिए यह राशि 541.27 करोड़ रुपये थी।
इस पर भाजपा का क्या कहना है
भाजपा ने कांग्रेस के इस क्राउडफंडिंग कैंपेन का मजाक उड़ाया है और दावा किया है कि जिन लोगों ने भारत से 60 साल तक चोरी की अब वह पैसा मांग रहे हैं। पार्टी ने दावा किया कि कैंपेन का उद्देश्य कांग्रेस सांसद धीरज साहू के परिसरों से मिली नकदी से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए है।
कांग्रेस सांसद धीरज साहू को कितना दुःख पहुँचेगा जब उसे पता चलेगा कि उसकी लापरवाही की वजह से खड़गे जी की एक महीने की तनख़्वाह कट गई… pic.twitter.com/wghsFquUdf
— Amit Malviya (मोदी का परिवार) (@amitmalviya) December 18, 2023
पार्टी नेता अमित मालवीय ने कहा कि कांग्रेस की इस बात से भ्रम में मत जाइए कि उनकी क्राउडफंडिंग महात्मा गांधी के ऐतिहासिक तिलक स्वराज फंड से प्रेरित है। उन्होंने दावा किया कि लोग अगर अपनी मेहनत से कमाया पैसा इस कैंपेन में डोनेट करेंगे तो वह केवल गांधी परिवार के पास ही जाएगा।
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