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विवादों के बीच टैक्स फ्री होगी फिल्म Phule? केंद्रीय मंत्री ने की अपील

पिछले काफी वक्त से प्रतीक गांधी और पत्रलेखा की फिल्म फुले को लेकर विवाद चल रहा है। इसी बीच अब केंद्रीय मंत्री का कहना है कि इस फिल्म को टैक्स फ्री कर देना चाहिए।

Author Edited By : Himanshu Soni Updated: May 3, 2025 19:35
Union Minister Athawale requests a tax-free status for 'Phule'
Union Minister Athawale requests a tax-free status for 'Phule'

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री रामदास अठावले ने हाल ही में मुंबई में आयोजित फिल्म ‘फुले’ की खास स्क्रीनिंग के दौरान इस बायोपिक को पूरे भारत में टैक्स-फ्री घोषित करने की मांग की है। ये फिल्म 19वीं सदी के सामाजिक सुधारकों महात्मा ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले के जीवन और संघर्षों पर बेस्ड है, जिन्होंने जातिगत भेदभाव और लैंगिक असमानता के खिलाफ आवाज उठाई थी।

अठावले ने की ट्रेक्स फ्री करने की मांग 

अठावले ने फिल्म की सराहना करते हुए कहा कि ये फिल्म समाज के सभी वर्गों, खासकर विधायकों और नीति-निर्माताओं को देखनी चाहिए, ताकि वो सामाजिक असमानताओं को समझ सकें। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी ये फिल्म देखने की सिफारिश की है।

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विवादों में घिरी फिल्म

फिल्म ‘फुले’ की रिलीज से पहले ही ये विवादों में घिर गई थी। दरअसल ब्राह्मण समुदाय के कुछ संगठनों ने फिल्म में ब्राह्मणों की नकारात्मक छवि प्रस्तुत करने का आरोप लगाया, जिसके चलते सेंसर बोर्ड ने फिल्म निर्माताओं से कई जातिगत शब्दों और दृश्यों को हटाने का निर्देश दिया। इसमें ‘महार’, ‘मांग’, ‘पेशवाई’ और ‘मनु का जाति व्यवस्था’ जैसे शब्द शामिल थे। इसके नतीजे में फिल्म की रिलीज 11 अप्रैल से बढ़ाकर 25 अप्रैल कर दी गई।

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निर्देशक अनंत महादेवन ने इन आपत्तियों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि फिल्म ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है और इसमें किसी समुदाय को नीचा दिखाने का उद्देश्य नहीं है। उन्होंने ये भी साफ किया कि फिल्म में उन ब्राह्मणों की भूमिका को भी दर्शाया गया है, जिन्होंने फुले दंपति के सुधार कार्यों में सहयोग दिया था।

इस सीन पर भी हुआ था विवाद 

फिल्म ‘फुले’ में प्रतीक गांधी और पत्रलेखा ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे ज्योतिराव और सावित्रीबाई फुले ने शिक्षा के जरिए समाज में व्याप्त जातिगत और लैंगिक भेदभाव के खिलाफ संघर्ष किया। फिल्म के एक सीन में सावित्रीबाई पर गोबर फेंकने का दृश्य भी शामिल है, जिसे लेकर विवाद हुआ था, लेकिन निर्देशक ने इसे ऐतिहासिक रूप से सत्य बताया है।

फिल्म की रिलीज के बाद इसे समीक्षकों से मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिली हैं। कुल मिलाकर ‘फुले’ एक ऐसी फिल्म है जो समाज में व्याप्त जातिगत और लैंगिक असमानताओं के खिलाफ फुले दंपति के संघर्षों को दर्शाती है। रामदास अठावले जैसे नेताओं की सिफारिशों के चलते, ये फिल्म समाज के अलग-अलग वर्गों तक पहुंचने में सक्षम हो सकती है और सामाजिक सुधार की दिशा में एक अहम कदम साबित हो सकती है।

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First published on: May 03, 2025 07:35 PM

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