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बेटी का हुआ रेप तो पूरे सिस्टम से लड़ गया किसान पिता, Oscars 2024 में पहुंचने वाली भारत की इकलौती डॉक्यूमेंट्री

To Kill A Tiger Documentary in Oscars 2024: नेटफ्लिक्स की डाक्यूमेंट्री 'टू किल ए टाइगर' सच्ची घटना पर बेस्ड है जिसमें एक किसान पिता की बेटी को न्याय दिलाने की कहानी को दिखाया गया है।

Edited By : Himanshu Soni | Updated: Sep 20, 2024 17:46
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To Kill A Tiger Documentary in Oscars 2024
To Kill A Tiger Documentary in Oscars 2024

To Kill A Tiger Documentary in Oscars 2024: ऑस्कर्स अवार्ड 2024 के लिए बेस्ट डाक्यूमेंट्री श्रेणी में भारत की इकलौती डॉक्यूमेंट्री ‘टू किल ए टाइगर’ को नॉमिनेट किया गया था, जिसने दुनिया भर से नॉमिनेट हुईं बेस्ट 5 डाक्यूमेंट्री में अपनी जगह बनाई। डॉक्यूमेंट्री ऑस्कर्स अवार्ड जीतने में तो कामयाब नहीं हो पाई लेकिन इसकी शानदार कहानी ने काफी लोगों को इंप्रेस किया। सिर्फ दर्शक ही नहीं बल्कि डाक्यूमेंट्री को क्रिटिक्स ने भी काफी पसंद किया। इसी साल नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई इस डाक्यूमेंट्री में रेप जैसे जघन्य अपराध के बाद के संघर्ष को दिखाया गया है। चलिए आपको बताते हैं डॉक्यूमेंट्री की कहानी के बारे में।

डाक्यूमेंट्री की कहानी रुला देगी

डाक्यूमेंट्री की कहानी झारखंड के एक परिवार की 13 साल की किशोरी पर आधारित है जो एक शादी समारोह से लौट रही होती है कि तभी उसके साथ तीन लोग दुष्कर्म की घटना को अंजाम देते हैं। एक बरात से घर लौटते समय ये अमानवीय घटना हुई थी जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। गांव की किशोरी के साथ हुए इस अपराध के बाद गांव वाले पूरे मामले को दबाना चाहते थे। वो नहीं चाहते थे कि इस घटना के बारे में जिसे भी पता चलेगा तो परिवार की बहुत थू-थू होगी लेकिन ऐसे केस में भी जहां किसी से भी साथ नहीं मिला तब बेटी के किसान पिता ने ना सिर्फ पूरे गांव वालों के साथ बल्कि पूरी न्यायपालिका के खिलाफ जंग शुरू कर दी।

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किसान पिता ने लड़ी बेटी के लिए लड़ाई

किसान पिता ने अपनी बेटी के साथ हुए बर्बर अमानवीय घटना को लेकर न्याय की लड़ाई लड़ी। फिल्म में अपनी 13 साल की बेटी को न्याय दिलाने के लिए किस तरह जूझता है, इसे दिखाया गया है। साल 2017 में 9 मई को हुई इस घटना ने सभी को चौंका दिया था। इसके एक साल बाद जब इसे लेकर कोर्ट का फैसला आया तो पीड़िता के पिता ने कहा कि हमें तो न्याय की उम्मीद थी। उन्होंने कहा कि जब तक आरोपियों को कड़ी सजा नहीं मिलेगी तब तक वो अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।

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पिता ने बताया कि उन्हें केस वापस लेने के लिए धमकियां दी गईं और पैसे का लालच भी दिया गया। उन्हें डराया गया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने कहा कि ‘हमें न्याय की जरूरत थी। हम नहीं चाहते थे कि जो मेरी बेटी के साथ हुआ, वो किसी और की बेटी के साथ भी हो। आखिरकार हमने किसी के सामने झुकने से इनकार किया और न्याय के लिए लगातार संघर्ष करते रहे।’

निशा पाहुजा ने किया शानदार डायरेक्शन

‘टू किल ए टाइगर’ में निशा पाहुजा ने पीड़ित के दर्द से उबरने के प्रोसेस पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय उसके पिता के संघर्ष को उजागर किया है, जो अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।

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Edited By

Himanshu Soni

First published on: Sep 20, 2024 05:46 PM

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