Thank You For Coming Review: Ashwani Kumar- हवा चली है कि फेमनिज्म के नाम पर कुछ दिखा दीजिए, बता दीजिए, कह दीजिए और उसे क्रांति का दर्जा दे दीजिए। थैंक्यू फॉर कमिंग इस क्रांति में थोड़ी और अशांति घोलने की नीयत से बनाई गई फिल्म है। अपनी जिंदगी, अपना पार्टनर, अपनी च्वाइस, अपने कपड़े, अपने आज़ादी जैसे जरूरी पड़ावों से होते हुए, वुमेन लिब्रेलाइजेशन की लड़ाई अब अपने सुख से चरम सुख तक पहुंच चुकी है। हिंदी में सुनने पर आपके संस्कारों को झटका लग सकता है, इसीलिए इंग्लिश में इसे ORGASM कहने और पढ़ने से जीभ नहीं लड़खड़ाएगी।
यह भी पढ़ें: Mission Raniganj में Akshay Kumar का यादगार किरदार, क्लाइमैक्स तक सीट से उठने नहीं देगी फिल्म
ORGASM फेमनिज्म की जरूरत
सेक्स अवेरयनेस के नाम पर यह स्टेटमेंट ठीक हो सकता है कि दुनिया की 70 परसेंट औरतों को कभी ORGASM फील नहीं हुआ, क्योंकि 90 परसेंट मर्दों को पता ही नहीं कि सेक्स करते कैसे हैं। मगर ये कैसे सही हुआ कि इसका इलाज सिर्फ मैस्टरबेशन हो? जो डायरेक्टर करण बुलानी और प्रोड्यूसर रिया कपूर, और एकता कपूर की फिल्म थैंक्यू फॉर कमिंग हमें समझाती है। ORGASM को फेमनिज्म और नए जमाने की जबरदस्त जरूरत बताते हुए यह फिल्म शुरू होती है, 30 साल की कनिका कपूर की बर्थडे पार्टी से, जो पिछले 15 साल में कई पार्टनर्स के साथ रिलेशनशिप में रह चुकी हैं। पार्टनर्स की इस लिस्ट में स्कूल के बच्चे से लेकर 55 साल के प्रोफेसर तक सब शामिल हैं, लेकिन अब तक उन्हे ज़िंदगी का मकसद यानि ORGASM नहीं मिला है।
कैसी है कहानी
वैसे फिल्म तो शुरु होती है, 8 साल की कनिका से जो स्कूल के एनुअल डे फंक्शन पर पूरी जेनरेशन को समझा आती है कि बच्चे प्रसाद के फलों से नहीं, बल्कि सेक्स से पैदा होते हैं और इसके लिए उसे माफी मांगनी पड़ती है। मगर यह बैक-स्टोरी ORGASM वाली मेन-स्टोरी को जस्टीफाई करने के लिए है। खैर अगले दो साल में यानि 32 की होने तक उसे इस सुख की प्राप्ति नहीं हुई, जिसके लिए कनिका ने कई अपने से छोटे-बड़े हर तरह के एक्सपेरिमेंट किए। उसके दोस्तों को भी कनिका के इस बिग मोमेंट का इंतजार है। अब इस पर वुमेन लिबरेशन ब्रिगेड के झंडा-बरदारों को हंसी तो आ सकती है, लेकिन थियेटर में फिल्म देख रहे लोगों को तो नहीं आई। खैर, ब्वॉयफ्रैंड से ये सुख हासिल कर पाने के कई अन-सक्सेसफुल अटेंप्ट के बाद, कनिका उस लड़के से शादी करने का फैसला करती है, जो सीधा है मासूम है और कनिका के प्यार में कुछ भी कर सकता है। अपनी इंगेजमेंट पार्ट में, जिसमें उसने अपने सारे एक्स बुलाए हैं, उनके साथ जमकर नाचने के बाद, अपने होने वाले पति को फुल इग्नोर करने के बाद, वो किसी के साथ रूम में जाती है, और कनिका को फाइनली वो हासिल हो जाता है, जिसके लिए ये पूरी फिल्म बनी है। लेकिन शराब के नशे में वो सब भूल गई है कि आखिरकार ये ORGASM उन्हें हासिल किससे हुआ है? अब, कनिका और उनकी गर्ल-गैंग उनके सारे एक्स से लेकर रबड़ी वाले तक की तलाश कर रही हैं, जिन्हे कनिका ने यह मौका दिया था।
देखें या न देखें
साथ में और भी कहानियां हैं, जिसमें कनिका की मां की स्टोरी, कनिका की दोस्त और उसकी बेटी के लीक MMS की स्टोरी, फिनाले में स्कूल के ऑडियोरियम में पैट्रियॉकी को खत्म करने वाले नारे…ये पैरलल स्टोरी, कम से कम मेन ट्रैक से बेहतर हैं। माफ कीजिएगा कि अगर ORGASM का फेमिन्ज्म, लड़कियों को उनकी पढ़ाई, सामाजिक हिस्सेदारी, उनके उपर होते जुल्म की लड़ाई से बड़ी जरूरत हो तो? मगर मुझे तो यह सेमी पॉर्न ज्यादा लगता है। ओह मॉय गॉड 2, जैसी सेक्स एजुकेशन अवेयरनेस को समझाती फिल्म को पास करने के पहले उसमें ढेरों कट्स और कैरेक्टर का रिफरेंस बदल देने वाले सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को बहुत खामोशी से पास कर दिया। ORGASM वाला यह फेमिनिज्म…सेक्स कॉमेडी कहकर प्रमोट किया जाता, तो ज्यादा बेहतर था।
थैंक्यू फॉर कमिंग को आधा स्टार।