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एक्टर का किया अपहरण, सिर काटकर खेला फुटबॉल, खुद की बेटी का हत्यारा

The Hunt for Veerappan: दक्षिण भारत का वो खूंखार डाकू जिसका नाम सुनते ही हर कोई खौफ से भर जाता था। ये डाकू किसी गब्बर से कम नहीं था। पढ़िए वीरप्पन की कहानी।

Edited By : Himanshu Soni | Updated: Sep 14, 2024 12:45
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The Hunt for Veerappan
The Hunt for Veerappan

The Hunt for Veerappan: एक समय पर दक्षिण भारत के जंगलों में एक नाम का खौफ हर किसी में था, उसका नाम आते ही सब कांपने लगते थे। वो नाम था वीरप्पन, जिसका असली नाम मुनिस्वामी वीरप्पन था। वीरप्पन एक ऐसा खूंखार तस्कर था जिसने न सिर्फ चंदन तस्करी की बल्कि सैंकड़ों लोगों की हत्या और 2000 से ज्यादा हाथियों की जान ली। उसकी लंबी मूछें और बेखौफ आवाज से हर किसी को डर लगता था। उसकी दरिंदगी की कहानियां आज भी तमिलनाडु में सुनाई जाती हैं। नेटफ्लिक्स पर साल 2023 में The Hunt for Veerappan के नाम से डॉक्यूसीरीज रिलीज हुई जिसने वीरप्पन की वो खौफनाक कहानियां बयां की जिसकी कल्पना करना भी नामुमकिन सा लगता है।

वीरप्पन ने पुलिसवालों को मार डाला

वीरप्पन का आतंक साल 1987 में उस समय बढ़ा जब उसने दिगंबर नाम के वन अधिकारी को अगवाह कर लिया। वन अधिकारियों से अपनी मुठभेड़ के कारण वीरप्पन हमेशा चर्चा में रहता था। साल 1993 में वीरप्पन ने कोलाथपुर गांव में एक पोस्टर लगाकर पुलिस अधिकारी लहीम शहीम गोपालकृष्णन को चुनौती दी। इस पोस्टर पर उसने पुलिस वालों को काफी गालियां दीं। इसका जवाब देने के लिए गोपालकृष्णन की टीम वीरप्पन की ओर बढ़ी, लेकिन वीरप्पन ने रास्ते में बारूद बिछा दिए और एक बड़े धमाके के साथ 15 मुखबिरों, 2 वन गार्ड और 4 पुलिसवालों की जान ले ली।

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सिर को काटकर खेला फुटबॉल

वीरप्पन की चालाकी की कोई हद नहीं थी। एक बार उसे वन अधिकारी पी श्रीनिवास ने गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन अपनी मक्कारी से वो हथकड़ियां खोलकर भाग निकला इसके बाद श्रीनिवास से बदला लेने के लिए वीरप्पन ने अपने छोटे भाई अरजुनन को भेजा और श्रीनिवास की हत्या कर दी। ये मामला और भी भयानक हो गया जब वीरप्पन ने श्रीनिवास के सिर को काटकर अपने घर ले जाकर उससे फुटबॉल खेला।

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वीरप्पन ने अभिनेता का भी किया अपहरण

साल 2000 में वीरप्पन ने मशहूर अभिनेता राज कुमार का अपहरण कर लिया और 100 दिनों तक उन्हें कैद में रखा। इस दौरान उसने तमिलनाडु और कर्नाटक दोनों सरकारों को घुटने टेकने पर मजबूर किया और अपनी कई मांगें मनवाईं।

वीरप्पन की दरिंदगी की एक और शर्मनाक घटना तब सामने आई जब उसने अपनी नवजात बेटी की भी बलि चढ़ा दी। अपनी बच्ची की रोने की आवाज से परेशान होकर वीरप्पन ने उसे मार डाला और कर्नाटक एसटीएफ ने साल 1993 में उसकी लाश को एक खड्डे से निकाला।

कैसे हुई वीरप्पन की मौत?

वीरप्पन को 18 अक्टूबर 2004 को तमिलनाडु की एसटीएफ ने प्लान बनाकर मार डाला। उसकी हत्या की पूरी योजना बनाई गई। वीरप्पन को एक एंबुलेंस में भेजा गया, जिसे एसटीएफ का एक आदमी चला रहा था। एंबुलेंस के तय स्थान पर पहुंचने के बाद एसटीएफ के जवानों ने एके-47 से फायरिंग कर वीरप्पन को 20 मिनट के अंदर मार डाला।

वीरप्पन की कहानी, उसकी दरिंदगी और उसके खात्मे की साजिश आज भी सस्पेंस, एक्शन और ड्रामा से भरी लगती है। इस खूंखार तस्कर की काली दास्तान ने न सिर्फ दक्षिण भारत बल्कि पूरे देश को दहला दिया।

 

HISTORY

Edited By

Himanshu Soni

Edited By

Amit Kumar

First published on: Sep 10, 2024 08:45 PM

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