Lata Mangeshkar Birthday Special: एक ऐसी आवाज जो आज भी लोगों के दिलों पर राज करती है और हमेशा करती रहेगी। भले ही आज दुनियाभर में अपनी आवाज का जादू चलाने वाली भारत रत्न ‘लता मंगेशकर’ हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज और यादें आज भी लोगों के जहन में वैसी की वैसी ही हैं। आज लता दीदी का जन्मदिन है और इस खास मौके पर हम आपको उनसे जुड़े एक किस्से के बारे में बता रहे हैं। आइए जानते हैं…
‘लता मंगेशकर’ ने किया बहुत संघर्ष
इंडस्ट्री पर राज करने वाली लता दीदी के शुरुआती दिन बेहद खराब रहे थे। उनके जीवन के संघर्ष के बारे में तो ज्यादातर लोग जानते हैं। शायद ही कोई ऐसा होगा जो ‘स्वरकोकिला’ की जर्नी के बारे में ना जानता हो। एक समय ऐसा भी था जब लोगों के दिलों पर राज करने वाली लता दीदी को रिजेक्शन झेलना पड़ा था। दरअसल, बात उस वक्त ही है जब दिलीप कुमार की फिल्म ‘शहीद’ आनी थी, लेकिन इस फिल्म के लिए लता जी को मना कर दिया गया था। जी हां, उस वक्त उन्हें कहा गया था कि उनकी आवाज बहुत पतली है।
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फिल्म ‘जिद्दी’
साल 1948 में फिल्म ‘जिद्दी’ का एक किस्सा ऐसा है जब लता की जगह आशा का नाम लिखा गया था। आशा यानी लता दीदी की बहन…? अरे नहीं… आइए बताते हैं पूरा मामला। दरअसल, जब फिल्म ‘जिद्दी’ आई तो इस फिल्म के सभी गानों ने लोगों का दिल छुआ। हालांकि उस वक्त ऐसा होता था कि डिस्क पर सिर्फ एक्टर और एक्ट्रेस का नाम जाता था।
कामिनी कौशल को मिला क्रेडिट
जब फिल्म के सभी गाने सुपरहिट हुए और फिल्म की अदाकारा कामिनी कौशल को इसका क्रेडिट मिलने लगा, तो उन्हें थोड़ा असहज महसूस हुआ और लगा कि ये सब लता दीदी का है। इसलिए उन्होंने फौरन रिकॉर्डिंग कंपनी से गुजारिश की और कहा कि उनकी लजह लता जी का नाम लिखा जाए और ऐसा ही हुआ भी।
कामिनी की वजह से लिखा गया ‘लता दीदी’ का नाम
आशा का नाम हटाकर लता जी का नाम लिखा गया। अब आपके मन में सवाल होगा कि ‘आशा’ कौन थी? तो बता दें कि आशा उस फिल्म में कामिनी कौशल के किरदार का नाम था। इस किस्से को खुद कामिनी कौशल ने एक इंटरव्यू में बताया था।
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