जलियांवाला बाग हत्याकांड को पर्दे पर दिखाना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन निर्देशक करण सिंह त्यागी ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाने की कोशिश की है। ‘केसरी चैप्टर 2’ एक सच्ची घटना पर आधारित कोर्टरूम ड्रामा है, जिसमें अक्षय कुमार ने बैरिस्टर सी. शंकरन नायर की भूमिका निभाई है। फिल्म का विषय गंभीर है, अभिनय भी दमदार है, लेकिन फिर भी कुछ कमियां हैं जो फिल्म के प्रभाव को कम कर देती हैं। आइए नजर डालते हैं उन 5 कमियों पर जो फिल्म का मजा किरकिरा कर सकती हैं।
1. पहली हाफ की रफ्तार बेहद धीमी
फिल्म की शुरुआत ऐतिहासिक घटनाओं के साथ होती है लेकिन पहला हिस्सा काफी खिंचता है। शंकरन नायर के आत्म-मंथन और नैतिक संघर्ष को दिखाने के चक्कर में स्क्रिप्ट का फ्लो टूट जाता है। कई सीन्स ऐसे हैं जो लंबे खिंचते हैं और दर्शक बोरियत महसूस कर सकते हैं।
2. कोर्टरूम ड्रामा में थ्रिल की कमी
फिल्म का मुख्य आकर्षण कोर्ट की लड़ाई है, लेकिन वहां भी थ्रिल और टेंशन का अभाव है। बहस और दलीलें लंबी जरूर हैं, मगर उनका असर उतना दमदार नहीं पड़ता जितना इस विषय से अपेक्षा थी। माधवन की एंट्री से हल्का बदलाव जरूर आता है, लेकिन वो देर से होता है।
3. सपोर्टिंग कास्ट का अधूरा इस्तेमाल
जहां अक्षय कुमार और माधवन अपनी भूमिकाओं में पूरी तरह जमे हुए हैं, वहीं रेजिना कैसेंड्रा और अनन्या पांडे जैसे कलाकारों को पूरी तरह इस्तेमाल नहीं किया गया। खासकर शंकरन नायर की पत्नी के रोल को ठीक से विकसित नहीं किया गया, जिससे इमोशनल कनेक्ट नहीं बन पाता।
4. कुछ सीन्स का ज्यादा नाटकीय होना
फिल्म के आखिरी 15 मिनट बेहद प्रभावशाली हैं, लेकिन कुछ मोनोलॉग्स और संवाद इतने फिल्मी और नाटकीय हो जाते हैं कि वो वास्तविकता से दूर लगते हैं। एक सच्ची घटना पर आधारित फिल्म में यदि ज्यादा मेलोड्रामा हो, तो उसका असर कमजोर हो सकता है।
5. ऐ सर्टिफिकेट का असर
फिल्म को सेंसर बोर्ड ने ‘A’ सर्टिफिकेट दिया है, जो इसे युवा दर्शकों से दूर कर देता है। जबकि इसका विषय ऐतिहासिक और इंस्पायरिंग है, जिसे हर आयु वर्ग को दिखाया जाना चाहिए था। साथ ही, मनोरंजन की उम्मीद लेकर आए दर्शकों को फिल्म थोड़ी भारी और गंभीर लग सकती है।
‘केसरी चैप्टर 2’ एक इमोशनल फिल्म है, लेकिन इसकी धीमी गति, कुछ बेमेल दृश्य और सीमित अपील इसके प्रभाव को थोड़ा कम कर देते हैं। अगर आप इतिहास में रुचि रखते हैं और दमदार परफॉर्मेंस देखना चाहते हैं, तो ये फिल्म जरूर देखी जानी चाहिए लेकिन इस उम्मीद के साथ नहीं कि ये आपको मनोरंजन से भर देगी।
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