Bigg Boss 18: ‘बिग बॉस 18‘ को एक वक्त पर ‘करण वीर मेहरा शो’ तक कहा गया था। करण की इस शो में इतनी तारीफ हुई है कि सभी कंटेस्टेंट्स भी यही सोचने पर मजबूर हो गए कि करण ही शो जीतने वाले हैं। मेकर्स की तरफ से भी करण को जमकर सपोर्ट किया जा रहा है। सभी सेलिब्रिटीज करण के साथ खड़े हैं और उनके लिए वोट अपील कर रहे हैं। हाल ही में घर में आई मीडिया भी करण की PR का काम करती हुई नजर आई। बावजूद इसके करण वोटिंग ट्रेंड में पीछे छूट गए और वो नंबर 1 तो क्या वो दूसरी पोस्टिव भी हासिल नहीं कर पाए। दूसरी तरफ अब विनर और टॉप 5 की प्रीडिक्शन हुई है उसमें भी करण तीसरे नंबर पर हैं। तो चलिए जानते हैं उनकी कौन-सी खामियां हैं, जो उन्हें ले डूबी है?
#BiggBoss18 Final Prediction and TOP 3 Ramkings
---विज्ञापन---1 #VivianDsena Winner
2 #RajatDalal RunnerUp
3 #KaranveerMehra 2nd Runner-up
4 #ChumDarang
5 #AvinashMishraNOTE:This is just our prediction, Keep voting for your favourite contestant to make them win
---विज्ञापन---— The Khabri (@TheKhabriTweets) January 15, 2025
ओवर कॉन्फिडेंस
जब से शो में करण की तारीफ होनी शुरू हुई है, वो ओवर कॉन्फिडेंस का शिकार हो गए हैं। करण को ऐसा लगने लगा है कि उन्हें अब कुछ करने की भी जरूरत नहीं है। टिकट टू फिनाले में भी करण का ओवर कॉन्फिडेंस सिर चढ़कर बोल रहा था। हालांकि, जनता ऐसे घंडी शख्स को देखना पसंद नहीं करती, जो उनकी हार का सबसे बड़ा कारण बन सकता है।
कशिश की मां से बदतमीजी
करण ने फैमिली वीक में पूरा माहौल खराब कर दिया था। कशिश कपूर की मां जब इमोशनल होकर अपनी बेटी का सपोर्ट करते हुए अविनाश को सुना रही थीं तो करण ने उनके साथ खूब बदतमीजी की। करण ने इस बात का भी लिहाज नहीं किया कि वो मेहमान हैं और मां होने के नाते वो अपनी बेटी को लेकर चिंतित हैं। करण ने उल्टा उनकी परवरिश पर सवाल उठा दिए थे।
चाहत और अविनाश के मामले में चुप्पी
जब अविनाश को इंसाफ दिलवाने की बारी आई तो करण सबसे ज्यादा एक्टिव दिखे। हालांकि, जब उनके सामने अविनाश ने कशिश का कैरेक्टर असैसिनेशन किया था तो करण के मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला था। वो बस माचिस की तिल्ली बनकर चुम को भड़का रहे थे। अगर वो आग लगाने की जगह कशिश के सपोर्ट में खड़े होते तो शायद जनता उन्हें जीता देती।
झूठे नरेटिव सेट करने की आदत
करण बिग बॉस के घर में बस झूठे नरेटिव सेट करते हुए नजर आए हैं। उनकी पूरी मेहनत बस लोगों की इमेज खराब करने में भी वेस्ट हो गई। विवियन कैसे हैं और उनका गेम क्यों खराब है? अगर ये सब लोगों के दिमाग में भरने की जगह, वो अपने ऊपर काम करते तो विनर भी बन सकते थे। लेकिन दूसरों की इमेज बिगाड़ते-बिगाड़ते वो अपनी ही इमेज की धज्जियां उड़वा बैठे।
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6 हफ्ते फुल वेस्ट
करण वीर मेहरा शुरुआत के 6 हफ्तों तक घर में बस मूर्ति बनकर बैठे रहे। लड़ाई हो या कोई भी घर का मुद्दा, वो बस शांत बैठकर तमाशा देखते थे। कई कंटेस्टेंट्स को करण की इस आदत से काफी चिढ़ थी, फिर भी करण का 6 हफ्तों में योगदान सिर्फ मिट्टी के तेल की तरह था। वो बस दूसरों की लड़ाईयों में आग लगाकर खुद निकल जाते थे और उन्होंने अपनी इन हरकतों से पूरी दुनिया में अपनी बदनामी करवा ली है।