पूरे 2 घंटे 27 मिनट की फिल्म में बहुत कुछ दिखाया है… इमरजेंसी ट्रेन की रफ्तार के साथ छूटती है और जरूरी स्टेशन्स पर रुकती-बढ़ती चली जाती है। ज़ाहिर है अच्छे-अच्छे क्रिटिक्स को, फैक्ट चेक के लिए गूगल का सहारा लेना पड़ेगा। ऑडियंस के लिए ये एक मुश्किल हो सकती है, लेकिन इतने लंबे अरसे को, इतने सारे वाकयों को एक साथ समेटना भी बहुत टेढ़ा काम था। इमरजेंसी की कहानी भागना शुरू करती है… पंडित नेहरू का मुश्किल वक्त, लाल बहादुर शास्त्री की हत्या जैसे लम्हें इतने फटाफट आते हैं कि आप किरदारों से मुलाकात तक नहीं कर पाते। संजय गांधी और इंदिरा गांधी के बीच सीन्स को स्टैब्लिश करने के फेर में राजीव गांधी को बस एक प्रॉप की तरह चुपचाप बैठे दिखाया गया। हालांकि इंदिरा के खिलाफ प्रोपैगैंडा के इल्ज़ामों के बीच, इमरजेंसी इंदिरा से नई जेनरेशन को मिलाने का काम भी करेगी।
चीन की ओर झुकते असम को – हिंदुस्तान का हिस्सा बनाए रखने में इंदिरा की कोशिशें, नेहरू जी के आखिरी दौर पर उनकी बेटी के साथ का मनमुटाव, इंदिरा और फ़िरोज़ गांधी के पर्सनल लाइफ में हो रहे उथल-पुथल को इमरजेंसी में एक्सप्लोर जरूर किया गया है, लेकिन उससे आपको कोई ऑब्जेक्शन नहीं होगा। इंदिरा गांधी की ज़िंदगी के तमाम ज़रूरी चैप्टर को कंगना ने समेट कर 2 घंटे की फिल्म में अच्छे से डाला है, डायलॉग्स अच्छे हैं, बैकग्राउंड स्कोर भी अच्छा है। गाने जबदस्ती फिट किए गए हैं, और ये फिल्म की कमज़ोरी है।
एक्टिंग
कंगना ने जहां इंदिरा गांधी के किरदार को बहुत ही अच्छे से निभाया है, इसमें कोई शक भी नहीं कि कंगना एक बेहतरीन एक्ट्रेस हैं। साथ ही उन्होंने इस फ़िल्म के लिए काफ़ी अच्छी कास्टिंग भी की है। अनुपम खेर, दिवंगत एक्टर सतीश कौशीक, श्रेयस तलपड़े, महिमा चौधरी, मिलिंद सोमन और संजय गांधी का किरदार निभाने वाले एक्टर विशाक नायर ने कमाल का काम किया है।
फाइनल वर्डिक्ट
काफी लंबे समय से कंगना की फिल्म इमरजेंसी का इंतज़ार चल रहा है। साल 2021 में आई फिल्म थलाइवी में भी कंगना ने दिवंगत नेता जयललिता की भूमिका अदा की थी और इस बार इमरजेंसी में इंदिरा गांधी की। इंदिरा गांधी के जीवन के एक अध्याय की कहानी को बड़े पर्दे पर देखा जा सकता है।
इमरजेंसी को मिलते हैं 3 स्टार