मनोज बाजपेयी वो नाम हैं जिन्होंने हर बार साबित किया है कि एक्टिंग सिर्फ कैमरे के सामने डायलॉग बोलना नहीं बल्कि किरदार को जीना है। अपनी सादगी और रियल एक्टिंग से उन्होंने दर्शकों के दिलों पर एक अलग ही छाप छोड़ी है। आइए जानते हैं उनके कुछ ऐसे रोल्स के बारे में जो सालों बाद भी याद लोगों को याद हैं।
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पिंजर (2003)
‘पिंजर’ में मनोज बाजपेयी ने राशिद का किरदार निभाया, जो बंटवारे की त्रासदी और रिश्तों की उलझन को बखूबी सामने लाता है। यह रोल आसान नहीं था क्योंकि इसमें उन्हें एक ऐसे इंसान को दिखाना था जो हालातों का शिकार भी है और गलत भी ठहराया जाता है। इस किरदार से मनोज ने साबित किया कि वो सिर्फ साइड रोल्स के लिए नहीं, बल्कि गहराई वाले रोल्स के लिए बने हैं।
गैंग्स ऑफ वासेपुर (2012)
‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में उनका सरदार खान आज भी पॉप कल्चर का हिस्सा है। डायलॉग डिलीवरी से लेकर बॉडी लैंग्वेज तक, सबकुछ इतना नैचुरल था कि लोग भूल ही गए कि वो एक्टर हैं। यह रोल उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ और उन्हें इंडस्ट्री का सबसे भरोसेमंद एक्टर बना दिया।
द फैमिली मैन (2019)
अमेज़न प्राइम की सीरीज ‘द फैमिली मैन’ ने मनोज को नए जमाने के दर्शकों से जोड़ा। सीक्रेट एजेंट श्रीकांत तिवारी का रोल उनके करियर का गेमचेंजर साबित हुआ। इस किरदार की सबसे खास बात थी। एक जासूस और एक आम परिवार वाले इंसान की दोहरी जिंदगी को बेहद असली अंदाज में पेश करना।
सोनचिड़िया (2019)
‘सोनचिड़िया’ में उन्होंने डकैत मान सिंह का रोल निभाया। यहां वो किसी फिल्मी गैंगस्टर की तरह नहीं बल्कि एक असली इंसान लगे, जिसके अंदर डर, हिम्मत और इंसानियत सबकुछ है। यह रोल उनकी वर्सटैलिटी का बड़ा उदाहरण है।
सिर्फ एक बंदा काफी है (2023)
फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ में उन्होंने एडवोकेट पीसी सोलंकी का किरदार निभाया। एक आम वकील जो बड़े धर्मगुरु के खिलाफ खड़ा होता है। इस किरदार को मनोज ने इतनी ईमानदारी से निभाया कि दर्शक भी खुद को कोर्टरूम में मौजूद महसूस करने लगे।
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