Criminal Justice 4: बॉलीवुड एक्टर पंकज त्रिपाठी और सुरवीन चावला की कोर्ट ड्रामा वेब सीरीज क्रिमिनल जस्टिस सीजन 4 का फाइनल एपिसोड गुरुवार को जियो हॉटस्टार पर स्ट्रीम किया गया। इसे देखने के बाद ऑडियंस काफी पॉजिटिव रिएक्शन दे रही है। सीरीज का क्लाइमेक्स काफी चौंका देने वाला रहा जिसकी उम्मीद शायद किसी ने नहीं की होगी। दिलचस्प बात ये है कि माधव मिश्रा (पंकज त्रिपाठी) जिन्होंने शुरुआत से केस को जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, आखिर में उन्हें ही हार का मुंह देखना पड़ा।
क्या है क्रिमिनल जस्टिस सीजन 4 की कहानी
क्रिमिनल जस्टिस सीजन 4 की कहानी डॉ. राज नागपाल (मोहम्मद जीशान अय्यूब), अंजू नागपाल (सुरवीन चावला) और रोशनी सलूजा (आशा नेगी) के इर्द-गिर्द घूमती है। राज और अंजू की एक बेटी इरा जो एस्पर्जर सिंड्रोम से जूझ रही है, उसकी देखभाल के लिए रोशनी जो एक नर्स है, उसे लाया जाता है। राज और अंजू शादीशुदा तो हैं लेकिन उनके बीच पति-पत्नी जैसा रिश्ता नहीं होता है। इस बीच डॉ. नागपाल अपनी नर्स रोशनी के करीब आ जाते हैं। कहानी तब मोड़ लेती है, जब एक दिन रोशनी का मर्डर हो जाता है। केस को सुलझाने के लिए माधव मिश्रा (पंकज त्रिपाठी) और लेखा अगस्त्य (श्वेता बसु प्रसाद) की एंट्री होती है।
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किस पर जाता है मर्डर का शक?
रोशनी सलूजा के मर्डर की गुत्थी को सुलझाने के लिए शक की सुई डॉ. राज नागपाल और अंजू नागपाल पर जाती है। इस दौरान कई सारे खुलासे होते हैं। एक खुलासा यह भी होता है कि रोशन राज के बच्चे की मां बनने वाली थी लेकिन उसका अबॉर्शन करा दिया जाता है। क्लाइमेक्स में दिखाया जाता है कि माधव मिश्रा को इरा पर शक होता है। वह उससे पूछताछ करते हैं, जिसमें अंजू नागपाल का नाम सामने आता है। वह जज के सामने कबूल कर लेती है कि उसने रोशनी का खून किया है। वह बताती है कि रोशनी उसकी बेटी इरा को गलत दवा देकर बीमार कर रही थी। वह अपने अबॉर्शन का बदला ले रही थी। जब अंजू को सच पता चला तो दोनों के बीच हाथापाई में रोशनी की मौत हो गई।
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‘कातिल’ से कैसे हारे माधव मिश्रा?
माधव मिश्रा असली कातिल अंजू को पकड़ लेते हैं लेकिन क्लाइमेक्स पूरी कहानी पलटकर रख देता है। दरअसल, उन्हें पता चलता है कि अंजू को चौथी स्टेज का कैंसर है। वह अस्पताल में उससे मिलने जाते हैं, जहां पता चलता है कि असली कातिल अंजू नहीं बल्कि डॉ. राज हैं। अंजू बताती है कि उसने अपने पति को बचाने के लिए खुद पर इल्जाम लिया था क्योंकि वह तो मरने वाली है लेकिन उसकी बेटी की देखभाल के लिए उसके पिता के अलावा कोई नहीं है। इस तरह से दुनिया की नजर में केस जीतने के बावजूद माधव मिश्रा असल में केस हार जाते हैं।