दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन (Delhi Red Fort metro station blast) के पास हुए घातक विस्फोट, जिसमें कम से कम 12 लोग मारे गए थे, के दो दिन बाद, जांचकर्ताओं ने हरियाणा के फरीदाबाद जिले में स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय पर अपना ध्यान केंद्रित किया है. इस मामले के कई आरोपी, जिनमें डॉक्टर और शिक्षाविद भी शामिल हैं, या तो इस संस्थान के पूर्व छात्र थे या कर्मचारी, जिसकी अब एक व्यापक आतंकवादी नेटवर्क से संभावित संबंधों की जांच की जा रही है.
संदिग्ध आत्मघाती हमलावर डॉ. उमर नबी, विश्वविद्यालय के मेडिकल कॉलेज में सहायक प्रोफेसर थे. हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक सामग्री के साथ गिरफ्तार किए गए दो अन्य, डॉ. मुजम्मिल शकील और डॉ. शाहीन शाहिद भी विश्वविद्यालय में कार्यरत थे.
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जांचकर्ताओं के अनुसार, अब जांच इस बात की जांच तक पहुंच गई है कि क्या विश्वविद्यालय परिसर में प्रयोगशालाओं या चिकित्सा ढांचे का दुरुपयोग इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) बनाने के लिए किया गया था. पुलिस ने अब तक लगभग 2,900 किलोग्राम विस्फोटक बनाने की सामग्री, कई हथियार और संचार उपकरण जब्त किए हैं, जिनका इस्तेमाल संदिग्धों द्वारा किया गया माना जा रहा है.
कौन चलाता है अल फलाह विश्वविद्यालय?
दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया से केवल 30 किलोमीटर दूरी पर मौजूद अल फलाह विश्वविद्यालय को अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट मैनेज करता है. साल 1995 में स्थापित ये ट्रस्ट, जामिया नगर, ओखला, नई दिल्ली में पंजीकृत किया गया था.
वैसे देखा जाए तो ये ट्रस्ट केवल उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं है. यह फलाह वाटर एड, फलाह फ़ूड एड और फलाह विंटर एड जैसी पहलों के साथ-साथ अगोन, नूह जिले में शरीका पब्लिक स्कूल, शरीका इस्लामिक स्कूल, शरीका अनाथ देखभाल केंद्र और मदरसा दारुल फलाह सहित कई संस्थानों का संचालन करता है.
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तेजी से हुआ विकसित
जांच के केंद्र में आए अल फलाह मेडिकल कॉलेज, जो विश्वविद्यालय के धौज परिसर में आता है, 70 एकड़ में फैला हुआ है. इस विश्वविद्यालय की शुरुआत 1997 में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी. साल 2013 में, अल-फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) से ‘A’ श्रेणी की मान्यता प्राप्त हुई. साल 2014 में, हरियाणा सरकार ने इसे विश्वविद्यालय का दर्जा दे दिया.
इस मेडिकल कॉलेज में 2019 में MBBS पाठ्यक्रम और 2023 में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम भी शुरू कर दिए गए.
आपको बता दें कि अल-फलाह में एक 650 बिस्तरों वाला छोटा अस्पताल भी है. यहां डॉक्टर मरीजों का मुफ्त में इलाज करते हैं. द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि परिसर में हर दिन एमबीबीएस पाठ्यक्रमों के पांच बैच होते हैं, जिनमें से हर में 150 से 200 छात्र होते हैं. अभी वर्तमान कुलपति, डॉ. भूपिंदर कौर आनंद, मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य भी हैं. अल-फलाह विश्वविद्यालय के वर्तमान रजिस्ट्रार प्रोफेसर (डॉ.) मोहम्मद परवेज हैं.
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कॉलेज की प्रतिष्ठा को लेकर चिंतित छात्र
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार अल फलाह मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने को बताया कि आरोपी डॉक्टर उनसे बहुत कम मिलते थे, लेकिन उनकी गिरफ्तारी ने कॉलेज की प्रतिष्ठा को लेकर चिंता पैदा कर दी है.
एमबीबीएस के तीसरे वर्ष के एक छात्र ने डॉ. मुजम्मिल गनई का जिक्र करते हुए कहा कि वह एमर्जेंसी वार्ड में जूनियर डॉक्टर थे, इसलिए हमें पढ़ाने कभी नहीं आए. हमें उनकी गिरफ्तारी की खबर सुनने के बाद ही उनके बारे में पता चला. गनई को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय आतंकी मॉड्यूल में कथित संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार किया था.
एक अन्य छात्र ने बताया कि संदिग्ध आत्मघाती हमलावर डॉ. उमर उन नबी ने विस्फोट से लगभग दस दिन पहले एक कक्षा में पढ़ाया था. एक शिक्षक के तौर पर, वह ठीक थे, लेकिन ज्यादातर अपने आप में ही रहते थे. पहले गिरफ्तार की गई महिला डॉक्टर डॉ. शाहीन शाहिद को पेशेवर और नियमित रूप से व्याख्यान देने वाली बताया गया था.
छात्रों ने बताया कि पुलिस ने 500 कमरों वाले उस हॉस्टल में कई बार तलाशी ली है जहां छात्र और शिक्षक दोनों रहते हैं. एक छात्र ने अखबार को बताया कि उन्होंने डॉ. उमर सहित सभी कमरों की जांच की.










